गोरखपुर। जेई-एईएस या अन्य कारणों से झटका लगने की बीमारी को नियंत्रित करने के लिए दिया जाने वाला फेनीट्वाइन इंजेक्शन सब स्टैंडर्ड (घटिया) मिला है। यानी इंजेक्शन में बीमारी को नियंत्रित करने की क्षमता नहीं थी। औषधि प्रशासन विभाग ने पिछले साल नवंबर महीने में बाबा राघवदास मेडिकल कालेज के सेंट्रल स्टोर से इंजेक्शन का नमूना लेकर जांच के लिए भेजा था। रिपोर्ट आते ही बचे आठ हजार इंजेक्शन को जब्त कर लिया गया है। इसे वापस कंपनी को भेजा जाएगा।

ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने बताया कि सोमवार को बाबा राघवदास मेडिकल कालेज के सेंट्रल ड्रग स्टोर से पांच दवाओं के नमूने जांच के लिए इकट्ठा किए गए हैं। इन नमूनों को लखनऊ स्थित प्रयोगशाला भेजा जा रहा है। जिन दवाओं के नमूने लिए गए हैं उनमें मेरोपेनम इंजेक्शन एक ग्राम भी शामिल है। ज्यादा एमआरपी को लेकर यह इंजेक्शन इन दिनों चर्चा में है। साथ ही बुखार में दी जाने वाली पैरासीटामाल 500 मिलीग्राम, एंटीबायोटिक एमाक्सिसिलीन, मधुमेह नियंत्रित करने की दवा मेटाफार्मिन और एंटीबायोटिक इंजेक्शन सेफेक्जोन 500 मिलीग्राम का भी नमूना लिया गया है।

पिछले साल नवंबर में ड्रग इंस्पेक्टर ने बाबा राघवदास मेडिकल कालेज के सेंट्रल ड्रग स्टोर से पांच दवाएं के नमूने लिए थे। इनमें फेनीट्वाइन इंजेक्शन भी था। चंडीगढ़ की कंपनी हेल्थ बायोटेक ने इसका निर्माण किया है। सरकारी आपूर्ति के माध्यम से दवा मेडिकल कालेज में मंगाई गई थी। मेडिकल कालेज में दो मिलीलीटर की पैकिंग वाली फेनीट्वाइन की 10 हजार पीस मंगाई गई थी। सोमवार को औषधि प्रशासन की जांच में सेंट्रल ड्रग स्टोर में आठ हजार इंजेक्शन रखा मिला। दो हजार इंजेक्शन मरीजों को लगाया जा चुका है।