पटना: ऑनलाइन सिस्टम लागू करने के नाम पर नई दवा दुकान का लाइसेंस दिए जाने की सरकारी रोक हटा ली गई है। बीते मार्च महीने में लाइसेंस पर रोक लगाई गई थी। छह माह बीतने के बाद भी जब स्वास्थ्य विभाग ऑनलाइन सिस्टम तैयार नहीं कर पाया तो पुन: खास तरह की दुकानों के लिए ही सही, लाइसेंस जारी करने की मैन्युअली प्रक्रिया शुरू कर दी गई।

जानकारी के मुताबिक, राज्य में 40 हजार दवा दुकानों को लाइसेंस जारी किया गया है। दवा दुकान पर फार्मासिस्ट होने की अनिवार्यता है लेकिन यह अलग बात है कि राज्य की 40 हजार दुकानों के लिए सक्रिय फार्मासिस्टों की संख्या मात्र आठ हजार के करीब है। विभाग ने यह कहते हुए नए लाइसेंस जारी करने से इनकार कर दिया था कि आवेदन से लेकर उसमे नियुक्तफार्मासिस्ट और सभी प्रकार की सूचनाएं सार्वजनिक करेंगे। फार्मासिस्ट के आधार नंबर के साथ दवा दुकान में नाम दर्ज होगा। साथ ही फार्मासिस्ट का वेतन सीधे उनके बैंक खाते में डाले जाने की व्यवस्था होगी। दूसरा पहलू यह भी है कि राज्य के दवा उद्योग की एक बड़ी लॉबी इस व्यवस्था को पारदर्शी नहीं होने देना चाहती और यह बात स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भी मालूम है। कई दफा दवा कारोबारी और औषधि तथा स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत भी सामने आ चुकी है। शायद ऐसे ही कुछ कारण रहे होंगे जिस कारण छह माह बाद भी सिस्टम ऑनलाइन नहीं हो सका। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के मुताबिक, विभाग शीघ्र ऑनलाइन लाइसेंस प्रक्रिया चालू करेगा। फिलहाल कुछ दुकानों के लाइसेंस जारी करने की अनुमति दी गई है ताकि आमजन को परेशानी न हो।