अलीगढ़। देश भर के अस्पताल ऑक्सीजन और बेड की कमी के कारण मरीज़ों को लौटा रहे हैं। ऑक्सीजन की सुविधा से लैस एंबुलेंस सर्विस मुहैया कराने में भी दिक्कत पेश आने लगी। और अगर किसी परिवार को अपने मरीज के लिए अस्पताल में बेड मिल भी जाए तो उसे हॉस्पिटल लेकर जाना अलग चुनौती है। ऐसे में हर कोई दवा के सहारे ही अपनी जान बचाने में जुटा है। जीवनरक्षक दवा व उपकरणों की मांग 10-15 गुना अधिक हो गई है। अफसोस, दुकानदारों ने मुनाफाखोरी शुरू कर दी है। पैरासिटामोल, एजीथ्रोमाइसिन, आइवरमेक्टिव, डाक्सी, विटामिन-सी, जिंक समेत तमाम दवा व मल्टी विटामिन की कीमत डेढ़ से दोगुनी अधिक वसूली जा रही है।

ग्राहकों की आपत्ति पर शार्ट सप्लाई की बात कही जा रही है। चिंता की बात ये है कि औषधि विभाग चैन की नींद सोया हुआ है। दरअसल महामंत्री रिटेलर्स केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन – उमेश श्रीवास्तव के अनुसार कोरोना के इलाज में इस्तेमाल अधिकतर दवा की शार्टेज होने लगी है। थोक विक्रेता कंपनी से सप्लाई कम बता रहे हैं। जबकि, कई दवा ज्यादा कीमत पर बेची जा रही है। तो वहीं औषधि निरीक्षक-हेमेंद्र चौधरी ने बताया कि सामान्य जीवनरक्षक दवा बाजार से गायब होने की बात मेरे संज्ञान में नहीं है। जल्द ही चेक कराऊंगा कि कहां दिक्कत हो रही है। मरीजों को जरूरी दवा की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी।

गौरतलब है कि कोरोना की आशंका के चलते डाक्टर लक्षण देखने के बाद ज्यादातर मरीजों को पैरासिटामोल, आइवरमेक्टिन, डाक्सी, एस्काजाइन, जिनकोविट, सेलिन, सक्सी, बीका डेक्सामीन, रेबिटल, एजीथ्रोमाइसिन, विटामिन-सी, टेमी फ्लू, जिंक, रेनटेक व कई कंपनियों के मल्टीविटामिन लिख रहे हैं। खांसी के सीरप भी मंगाए जा रहे हैं। विगत एक माह में ऐसी दवा की मांग तिगुनी, 15 दिन में चौगुनी व सप्ताह भर में 10-15 गुना बढ़ गई है। अभी तक बाजार में ज्यादातर दवा आसानी से मिल रही थीं, मगर एक सप्ताह के भीतर बाजार से ये दवा गायब होने लगी हैं। दुकानदारों का कहना है कि मांग बढ़ने से सप्लाई शार्ट हो गई है। माल कम और महंगा मिल रहा। इसलिए हमें भी दाम बढ़ाने पड़े हैं।

दरअसल मुनाफाखोरी बढ़ने के साथ तमाम जीवनरक्षक दवा व उपकरण बाजार से गायब है। पल्स आक्सीमीटर और फ्लूमीटर तक नहीं मिल रहा है। अच्छी कंपनी का पल्स आक्सीमीटर पांच से सात हजार तक कीमत में मिलने की बात सामने आई है। 300 रुपये का लोकर आक्सीमीटर एक हजार रुपये तक में मिल रहा है। अन्य दवा भी काफी महंगी मिल रही हैं। आइवरमेक्टिन का 250 रुपये वाला 10 गोली का पत्ता 500 रुपये, डाक्सी के 300 कैप्सूल का पत्ता 240 के स्थान पर 600 रुपये तक में मिल रहा हैं। अन्य सामान्य जीवनरक्षक दवा भी एमआरपी से महंगी बेची जा रही है। रेमडेसिविर तो बाजार में है ही नहीं।