रांची। ब्लैक फंगस (म्यूकर मायकोसिस) के मरीजों के इलाज में कालाजार के मरीजों के लिए उपलब्ध दवा का इस्तेमाल होगा। वर्तमान में ब्लैक फंगस की दवा बाजार में उपलब्ध नहीं होने के कारण राज्य सरकार ने इसका निर्णय लिया है। केंद्र ने इसकी मंजूरी भी दे दी है। दरअसल, कालाजार के मरीजों के इलाज में भी एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन का इस्तेमाल होता है। कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत यह दवा विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से प्राप्त होती है। यही दवा ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज में भी कारगर है। चूंकि, इस दवा का इस्तेमाल काफी कम होता है, इसलिए यह दवा दुकानों में उपलब्ध नहीं है। दवा दुकानदारों का कहना है कि इस दवा की खपत नहीं के बराबर है। इसलिए वे इसे अपनी दुकानों में नहीं रखते थे। हालांकि, इसके स्टॉकिस्ट शीघ्र दवा मिलने की बात कर रहे हैं।

इधर, केंद्र से राज्य को एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन मिले हैं। इसे सरकारी व निजी अस्पतालों को जरूरत के अनुसार दिए जा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, झारखंड के निदेशक रविशंकर शुक्ला ने कहा है कि केंद्र से राज्य सरकार को दवा मिली है। दवा मिलने के बाद सभी उपायुक्तों को उपलब्ध करा दी गई है। एक्सपर्ट कमेटी की अनुशंसा पर अस्पतालों को जरूरत के अनुसार उपलब्ध कराई जाएगी।

दरअसल राज्य के चार जिले में ही कालाजार के मरीज मिलते हैं। इनमें दुमका, गोड्डा, पाकुड़ तथा साहिबगंज शामिल हैं। चारों जिले संताल प्रमंडल के हैं।
लीशमनियासिस (कालाजार) के इलाज में इस्तेमाल होनेवाली एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन फंगल सेल मेंब्रेन को नष्ट कर फंगस को खत्म करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह दवा चिकित्सक के परामर्श पर ही लेनी चाहिए। इसके कुछ साइड इफेक्ट भी होते हैं, जिनमें रक्त में पोटेशियम कम हो जाना, मिचली आना, बुखार आदि शामिल हैं।