गोरखपुर। देश में जहां कोरोना की दूसरी लहर ने दवा की मांग बढ़ा दी थी तो वहीं अब एक बार उसी दवा ने दवा व्यापारियों की टेंशन बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि लाखों की दवा चंद दिनों में एक्सपायर होने वाली है। और दवा कंपनियों ने भी अपने दवा वापसी को लेकर हाथ खड़े कर दिए है। गौरतलब है कि कोरोना के इलाज में रामबाण मानी जा रही दवाएं अब व्यापारियों के लिए आफत का सबब बन गई हैं। एक्सपायर होने के करीब पहुंची करीब 70 लाख रुपए की दवाएं मंडी में फंस गई हैं। इसमें रेमडेसिविर, टोसिलीजुमैब और फेबिफ्लू शामिल है।

इन दवाओं को निर्माता कंपनियां वापस नहीं ले रहीं हैं। केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष – संजय उपाध्याय ने बताया कि लाखों रुपये की दवाएं बाजार में फंस गई हैं। इन दवाओं की वापसी नहीं हो रही है। जबकि पहली लहर में राज्य एसोसिएशन से दबाव बनवाकर लाखों रुपये की दवाएं वापस कराई गई थी। लेकिन इस बार कंपनियों ने दवा और इंजेक्शन वापस करने से मना कर‌ दिया है। अब विभाग से संपर्क कर दवाएं वापस करने के लिए कहा गया है। बता दें कि कोरोना महामारी में जान बचाने वाले नेबुलाइजर, थर्मामीटर, पीपीई किट, पल्स ऑक्सीमीटर का स्टाक भी डंप हो गया है।

संक्रमण के दौरान इनकी डिमांड खूब थी। स्थिति ऐसी थी कि चाइनीज ऑक्सीमीटर भी लोग मजबूरी में खरीद रहे थे। लेकिन अब इसे कोई पूछने वाला नहीं है। कंपनियों ने वापसी के सवाल पर हाथ खड़े कर दिए हैं। आलम ये है कि अगस्त माह में 500 से अधिक रेमडेसिविर इंजेक्शन के वायल एक्सपायर हो जाएंगे। इसकी वजह से दवा व्यापारियों की मुश्किलें और बढ़ गई है। व्यापारियों का कहना है कि अगर जुलाई माह में विभाग या फिर कंपनियों ने इंजेक्शन वापस नहीं किए तो लाखों रुपये बर्बाद हो जाएंगे।

दवा मंडी के थोक व्यापारी इन दिनों हलकान है। तीसरी लहर आने को है। इस बीच दूसरी लहर में मंगाई गई दवाएं एक्सपायर होने को हैं। इन दवाओं की खपत व्यापारियों के लिए मुसीबत बन गई है। व्यापारियों के करीब 35 लाख रुपये की रेमडेसिविर, 10 लाख की टोसिलीजुमैब और करीब 25 लाख रुपये के फेबिफ्लू दवाएं फंस गई हैं। भालोटिया के व्यापारियों ने रेमडेसिविर और टोसिलीजुमैब कंपनियों को वापस करने के लिए भेजा भी था, जिसे कंपनियों ने लेने से मना कर दिया है।

सूरजकुंड के रहने वाले दवा व्यापारी शहबाज सिद्दीकी ने बताया कि पांच लाख टोसिलीजुमैब केवल मेरे पास हैं, जिसे कंपनी वापस नहीं ले रही है। इसके अलावा 17 मई को 1400 वायल व 20 मई को 480 वायल रेमडेसिविर के मंगाए गए थे। इनमें से लगभग सात सौ वायल बचे हुए हैं। इनकी कीमत लगभग 16 लाख से अधिक है। इसके अलावा आठ व्यापारियों के यहां 14 से लेकर 150 से अधिक वायल बचे हुए हैं। इनकी संख्या लगभग एक हजार है। कुल लगभग 1700 अधिक रेमडेसिविर इंजेक्शन बाजार में डंप हैं।

अप्रैल में माह में जब कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेज हुई तो रेमडेसिविर सहित टोसिलीजुमैब इंजेक्शन और फेबिफ्लू दवाओं की डिमांड बढ़ गई।‌ स्थिति ऐसी हो गई थी कि लोग मुंहमांगे दाम पर इंजेक्शन खरीदने के लिए तैयार थे। कोरोना की रफ्तार थमी तो तस्वीर बदल गई। अब इन दवाओं की डिमांड नहीं रह गई है। भालोटिया मार्केट के व्यापारी गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि रेमडेसिविर के 20 वायल कंपनी को वापस भेज गए थे जिसे कंपनी ने वापस भेज दिया है। जबकि यह इंजेक्शन अगस्त माह में एक्सपायर हो जाएंगे।