भागलपुर। शहर में लगाए गए बाढ़ राहत शिविरों में स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट है। इन शिविरों में चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं, ताकि बाढ़ पीडि़तों का इलाज कर उन्हें दवा दी जाय। लेकिन बिना आला और थर्मामीटर के डाक्टर अनुमान पर मरीजों को बुखार की दवा दे रहे हैं। वहीं एंटीबायोटिक, टेटवेक और एंटी रैबिज दवाएं हैं ही नहीं। जब मुख्यालय के समीप स्वास्थ्य शिविरों में यह हाल है तो फिर ग्रामीण बाढ़ प्रभावित शिविरों में चिकित्सा व्यवस्था की क्या स्थिति होगी, समझा जा सकता है। तो वहीँ सिविल सर्जन- डा उमेश शर्मा ने बताया कि बाढ़ राहत चिकित्सा शिविरों में जिन दवाओं की कमी है, उसे पूरा किया जा रहा है। टेटवेक या एंटी रैबिज दवा को फ्रीज में ही रखा जा सकता है। अत: इस तरह के मरीजों को सदर अस्पताल भेजने की व्यवस्था की गई है।

बता दें कि इस्माइलपुर स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी डा राकेश कुमार रविवार की रात को अंधेरे में बाढ़ में बांध पर जाना पड़ रहा है। इनके लिए नाव की व्यवस्था भी नहीं की गई। राहत शिविरों में ठहरे बाढ़ पीडि़तों का कोरोना की जांच के लिए भी टीम को जाना पड़ रहा है। हवाई अड्डा सहित अन्य चिकित्सा शिविरों में एंटीबायोटिक सहित कई दवाएं नहीं हैं। बाढ़ प्रभावित शीशा आदि से जख्मी भी हो रहे हैं। इन्हें टेटवेक नहीं मिलता। टीएनबी कालेजियट स्कूल में चार ऐसे लोग इलाज करवाने आए थे, जिन्हें शीशा पैर में धंस गया था। उन्हें सदर अस्पताल भेजा गया।

हवाई अड्डा में इलाज कर रहे डा. अखिलेश कुमार विजय ने कहा कि एंटीबायोटिक दवा की मांग की गई है। सर्पदंश के शिकार कोई मरीज तो अभी तक नहीं मिला है लेकिन दवा नहीं है। इसके अलावा चर्म रोग के लिए मलहम का भी अभाव है। टीएनबी कॉलेजियट स्कूल में मलहम का बड़ा फाइल है, जिसे मरीजों को नहीं दिया जा रहा है। डा. अमित कुमार शर्मा ने कहा कि चर्म रोग के ज्यादा मरीज आ रहे हैं। छोटा फाइल मलहम नहीं है। जख्म भरने की दवा का भी अभाव है।

वैसे भी इन शिविरों में आयुष चिकित्सकों की ड्यूटी दी गई है। जिन्हें एलोपैथ दवा की उतनी समझ नहीं है, जितनी की एमबीबीएस डाक्टरों को है। मरीज को दवा भी डर कर ही देते हैं। शहर के टीएनबी कॉलेजियट स्कूल, टिल्हा कोठी, बीएन कालेज, हवाई अड्डा, गुरुकूल हाई स्कूल, सीटीएस, महादेव सिंह कॉलेज परिसर में बाढ़ राहत शिविरों में चिकित्सा शिविर भी है। यहां डाक्टरों और पारा कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। साथ ही बाढ़ प्रभावित लोगों का कोरोना जांच भी किया जा रहा है। ज्यादातर सर्दी-खांसी, बुखार और चर्म रोग के मरीज ज्यादा हैं। ताजुब की बात है कि इन शिविरों में थर्मामीटर भी नहीं है, डाक्टर अनुमान पर बुखार पीडि़तों को दवा दे रहे हैं।