सहारनपुर। जिले के सरकारी अस्पतालों के दवा स्टोरों में थैलेसीमिया सहित कई गंभीर बीमारियों के इलाज की दवाओं का टोटा पड़ गया है। दवाओं की मांग को देखते हुए अधिकारियों ने लखनऊ पत्र लिखा है, लेकिन कार्पोरेशन से दवाएं नहीं आ रही हैं। ऐसे में मरीजों को यह दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं।

बता दें कि एसबीडी जिला अस्पताल में थैलेसीमिया के 112 मरीज पंजीकृत हैं, जिनको खून चढ़ाने से लेकर इलाज तक की पूरी व्यवस्था अस्पताल की ओर से रहती है। मरीजों को खून तो बराबर मिल रहा है, लेकिन बीते करीब दो माह से दवाएं खत्म हैं। इसके अलावा मानसिक रोगियों के लिए रेस्पीरिडॉन इंजेक्शन और फ्लूफेंजाइन डिकोनेट दवा, सांस के मरीजों के लिए इप्राट्रोपियम ब्रोमाइट जैसी दवाएं भी नहीं आ रही हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजीव मांगलिक ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में कुछ दवाओं की कमी है, जिसके लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखे गए हैं। हालांकि कभी भी शत-प्रतिशत दवाएं उपलब्ध नहीं रहती हैं, लेकिन दवाओं की कमी से निपटने का उपाय यह है कि लोकल स्तर पर दवाएं खरीद ली जाएं।

सरकारी अस्पतालों में 287 प्रकार की दवाएं होनी चाहिए, जिनमें से 272 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध हैं। वर्तमान में जो दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। उनमें आयरन चिलेटर डिफॉसिरॉक्स टेबलेट, इंसूलिन, हैमेक्सिल और मैफेटिन इंजेक्शन, बूपीविकेनडेक्टॉज इंजेक्शन, कैटामिन आईवी इंजेक्शन, सिफ्टॉजीटिन इंजेक्शन, मेरोपैनम इंजेक्शन, फेनोबार्विटॉन इंजेक्शन, ग्लेसिरिन ट्राइनाइट्रेट, मानसिक रोग के लिए फ्लूफैजाइन, रेस्पीरिडॉन इंजेक्शन, इप्राट्रोपियम ब्रोमाइट आदि दवाएं नहीं हैं।