WHO:  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में हुए शोध में ये पाया है कि भारत में 72 प्रतिशत मौतें बिना डॉक्टरी प्रमाणिकरण के होती है।  घर में होने वाली इन मौतों पर परिजन खुद ही पैसला ले लेते हैं कि शख्स मर चुका है। वहीं 23 प्रतिशत मौतों पर नीति बनाई जा रही है। केवल 22.5 प्रतिशत मौतें डॉक्टर द्वारा प्रमाणित होती हैं।

कुछ साल से भारत में मृत्यु पंजीयन तेजी से बढ़ा (WHO) 

विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि भारत में कंप्यूटर की तुलना में डॉक्टर के द्वारा प्रमाणित मौखिक शव परीक्षण ज्यादा कारगर है। हाल ही में बिहार और उत्तर प्रदेश में ये शोध किया गया जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन के अतिरिक्त दिल्ली एम्स और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) सहित कई संस्थानों के विशेषज्ञों ने शिरकत की। नागरिक पंजीकरण प्रणाली रिपोर्ट (सीआरएस) 2020 का हवाला देते हुए इस रिसर्च में बताया गया कि पिछले कुछ साल से भारत में मृत्यु पंजीयन तेजी से बढ़ा है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा है कि अध्ययन के परिणाम अहम होंगे।

डॉ राजीव बहल ने कहा कि इस शोध से सामने आया है कि मौत के कारण की जानकारी लेने के लिए मौखिक शव परीक्षा (वीए) का इस्तेमाल बेहतर है। भारत में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन क्या कंप्यूटर कोडेड सिस्टम पर विचार किया जा सकता है? उन्होंने आगे कहा कि इसकी जानकारी के लिए दो मॉडल चिकित्सक प्रमाणित मौखिक शव परीक्षण (पीसीवीए) और दूसरा कंप्यूटर कोडेड मौखिक शव परीक्षण (सीसीवीए) के आधार पर अध्ययन हुआ।

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वहीं  केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि भारत में चिकित्सा मौत के कारणों की जानकारी के लिए मौखिक शव परीक्षण का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस शोध में शामिल तमाम स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि मौखिक शव परीक्षण के लिए पीसीवीए का उपयोग जारी रखा जाना चाहिए। साथ ही कंप्यूटर के उपयोग को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।