जहांगीरपुरी में स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र का प्रभारी खुद नशे की तस्करी कारोबार में संलिप्त पाया गया। जांच में सामने आया कि वह इलाज कराने आए लोगों के आधार कार्ड से नशीले पदार्थ खरीदता था। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने यमुना बाढ़ क्षेत्र में जब ऑपरेशन क्लीनस्वीप चलाया तो नशे की सप्लाई करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ।
अपराध शाखा ने प्रभारी प्रदीप समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही साथ गाजियाबाद के एक मेडिकल स्टोर को भी सील किया गया है। इस गिरोह के सदस्य यमुना बाढ़ क्षेत्र में रहने वाले और फुटपाथ पर गुजारा करने वाले लोगों को नशे की सप्लाई देते थे। अपराध शाखा के विशेष पुलिस आयुक्त रविंद्र सिंह यादव ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कई बार यमुना बाढ़ क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने यहां पर नशा करते हुए फुटपाथ और अन्य जगहों पर रहने वाले लोगों को देखा।
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उन्होंने नशे के कारोबार का पर्दाफाश करने के लिए पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को आदेश दिए। अपराध शाखा और उत्तरी जिला पुलिस के एंटी-नारकोटिक टास्क फोर्स (एएनटीएफ) ने एक संयुक्त अभियान ऑपरेशन क्लीनस्वीप चलया। इसमें दिल्ली और यूपी के ड्रग विभागों की सहायता ली गई। जांच में यमुना बाढ़ क्षेत्र से ब्यूप्रेनोर्फिन की दो मिलीग्राम की 22 स्ट्रिप्स, 28 सिरिंज और 74 सुइयां, एविल की 10 एमएल के 850 इंजेक्शन/शीशियां, सात बैग के साथ-साथ अन्य दवाओं के 2800 इंजेक्शन बरामद किए गए।
पुलिस इंस्पेक्टर अनिल शर्मा की टीम ने जहांगीरपुरी इलाके में एलिगेंट क्लिनिक नशा मुक्ति केंद्र के परिसर पर छापा मारा और प्रभारी प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया। केंद्र के रजिस्टर और दवाओं के स्टॉक की जांच से सामने आया कि प्रदीप केंद्र में इलाज करा रहे नशे के पीड़ितों के आधार कार्ड से नशे की दवाएं खरीदता था। इसके बाद वह तस्करों को बेच रहा था। इसके अलावा आरोपी नशे की वस्तुओं को हनुमान मंदिर, छत्ता रेल, आईएसबीटी, यमुना बाजार, निगम बोध घाट आदि क्षेत्रों में यमुना के बाढ़ क्षेत्रों नशा करने वालों और आवारा लोगों को बेच देता था।