नई दिल्ली – कुमार अनिल
एम्स में होने वाले भ्रष्टाचार और अनियमितताओं में लिप्त लोगों को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जयप्रकार नड्डा की खुली शह है, जिस कारण आरोप सिद्ध होने के बावजूद इन लोगों के कालर तक कानून का शिकंजा नहीं पहुंच पाता। यह गंभीर आरोप एम्स में उप सचिव एवं पूर्व मुख्य सतर्कता अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने हाई कोर्ट में दायर एक याचिका के संदर्भ में शपथ पत्र दायर कर लगाए हैं। चतुर्वेदी ने शपथ पत्र में कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा एम्स में भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ जारी विभागीय चार्जशीट और सीबीआई की रिपोर्ट को दबाने का काम कर रहे हैं। पेश मामले में एक गैर सरकारी संगठन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें याचिकाकर्ता ने मांग की है कि स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को एम्स में भ्रष्टाचार के मामलों में अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के अधिकार से मुक्तकिया जाए। एम्स में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच तेज कराई जाए। इस मामले में हाई कोर्ट के नोटिस पर संजीव ने अपना हलफनामा दायर किया है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि सूचना के अधिकार से पता चलता है कि एम्स में भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआइ ने आरोपी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। यह आरोपियों और जेपी नड्डा के बीच साठगांठ को सीधे-सीधे दर्शाता है। उन्होंने सीबीआइ पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि एम्स के झज्जर कैंपस में पोर्टा केबिन बनाने और उस जगह अधिकारियों द्वारा निजी संपत्ति की खरीद करने के मामलों में सीबीआइ ने स्तरहीन जांच की है। बीती 12 दिसंबर को ही स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने झज्जर के एम्स का भूमि पूजन किया, जिसमें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी उपस्थित थे। हालांकि भाजपा और कांग्रेस की ओच्छी राजनीति के चलते इस कार्यक्रम की खूब किरकिरी हुई।