नोएडा: उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में आमूल-चूल परिवर्तन करते हुए चार विभागों को एक किया जाने की तैयारी है। इनमें चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और मातृ एवं शिशु कल्याण विभाग शामिल है। नीति आयोग के सलाहकार आलोक कुमार के मुताबिक, पॉलिसी के प्रबुद्ध लोगों ने सुझाव दिया था कि प्रशासनिक कंट्रोल के लिए मंत्रालयों का पुनर्गठन किया जाए। उन्होंने बताया कि प्रशासन को बिना किसी रुकावट के चलाने के लिए यह हमेशा अच्छा होता है कि कम मंत्रालय हो। झारखंड और राजस्थान में पहले ही मंत्रालयों का पुनर्गठन कर लिया गया है। अब वहां 50 की जगह 30 मंत्रालय हो गए हैं। एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस सिद्धांत को लागू करने के लिए जून-जुलाई में नीति आयोग को अंडरटेकिंग दी थी। उत्तर प्रदेश सरकार को इस नियम को लागू करने के लिए 3 महीने दिए थे जो अब पूरे हो चुके हैं। 9 नवंबर को नीति आयोग की टीम राज्य का दौरा करेगी। सूत्रों की मानें तो सरकार ने इन विभागों को एक करने का फैसला ले लिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खेमे से जानकारी मिली कि नेशनल हेल्थ मिशन परिवार कल्याण के अंतर्गत आता है इसकी मंत्री रीता बहुगुणा जोशी हैं। एनएचएम का बजट परिवार कल्याण में आता है जबकि प्रोजेक्ट्स की टेंडरिंग और क्रियान्वयन का अधिकार चिकित्सा एवं शिक्षा को है। इस विभाग के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह हैं। इसी तरह कुछ काम चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं। इसके मंत्री आशुतोष टंडन हैं। एनएचएम के किसी काम को लागू करने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय प्रस्ताव बनाने के लिए परिवार कल्याण विभाग को कहता है। जब प्रॉजेक्ट पर काम पूरा हो जाता है तो समस्या राशि को लेकर पैदा होती है।