इंदौर (मध्य प्रदेश) : सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद दवा कारोबार में ‘खेल’ खत्म नहीं हो रहा। इंदौर की इस ताजा खबर ने दवा जगत में फिर हलचल पैदा कर दी। दरअसल, जीएसटी की आड़ में थोक दवा कारोबारियों ने वापस होने वाली दवाओं पर पहले ही कमीशन बढ़ा दिया था। रिटेल कैमिस्टों में इस बात को लेकर गहरी नाराजगी थी। एक्सपायर्ड दवा वापस नहीं लेने के फैसले का रिटेल दवा व्यापारियों ने अब खुला विरोध शुरू कर दिया है। कैमिस्ट एसोसिएशन के फैसले पर सवाल उठाते हुए दवा दुकानदार आरोप लग रहे हैं कि एसोसिएशन सिर्फ होलसेलर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है। रिटेल कैमिस्टों ने कहा कि निर्णय वापस नहीं हुआ तो अलग मोर्चा खोला जाएगा। इंदौर केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने इस निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रिटेलर्स को परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकी यूं भी दवा वापसी के लिए 4 महीने का समय दिया जाता है। कैमिस्ट एकता रखेंगे तो जनवरी की एक्सपायर दवा अप्रैल-मई तक वापस हो सकेगी।
रिटेल दवा कारोबारियों के मुताबिक, एक जुलाई से जीएसटी लागू होने के ठीक बाद से ही थोक दवा कारोबारियों ने एक्सपायर्ड दवाओं की वापसी पर इनकार करना शुरू कर दिया था। नियम स्पष्ट नहीं होने की बात कहकर जुलाई और अगस्त में एक्सपायर्ड दवाएं वापस नहीं हुई। सितंबर में ऐसी दवाओं को वापस लेना फिर शुरू किया गया लेकिन थोक कारोबारियों ने उस पर कमीशन बढ़ा दिया। सितंबर के बाद से एक्सपायर्ड दवा वापस लेने पर थोक कारोबारी 45 प्रतिशत कमीशन ले रहे हैं यानी कोई एक्सपायर्ड दवा वापस की जाती है तो उसकी एमआरपी से 45 प्रतिशत राशि कम कर उस कीमत का माल दिया जाता था। रिटेल कारोबारियों के मुताबिक इससे पहले तक ऐसी दवा वापसी पर 30-35 प्रतिशत तक कमीशन काटा जाता था। असल में कंपनी थोक कारोबारियों से ऐसा माल वापस लेने पर सिर्फ 28 प्रतिशत ही कमीशन काटती है। जीएसटी के जानकार थोक कारोबारियों के इस फैसले को कागजी कार्रवाई से बचने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं।