रायपुर (छ.ग.)। छत्तीसगढ़ राज्य के तीन मेडिकल कॉंलेजों को इस साल एमबीबीएस की 500 सीटों पर दाखिले की अनुमति नहीं मिली हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एमसीआई की अनुशंसा पर राज्य के तीन निजी मेडिकल कॉंलेजों शंकराचार्य मेडिकल कॉंलेज भिलाई (150 सीट), चंदूलाल चंद्राकर कॉंलेज दुर्ग (150 सीट), रिम्स रायपुर (150 सीट) की कुल 450 सीटों में इस वड्र्ढ जीरो ईयर घोषित कर दिया हैं। वहीं, सिम्स बिलासपुर की कुल 150 सीट में से 50 सीटों की मान्यता रोक दी हैं। इस वजह से राज्य में एमबीबीएस की कुल 500 सीटों का नुकसान होने के साथ इन पर दाखिला नहीं मिल पाएगा। राज्य में अब सिर्फ  शासकीय कॉंलेजों की 600 सीटों पर ही दाखिला होगा। इससे छात्रों को मेडिकल में दाखिला लेना आसान नहीं होगा। कट ऑफ भी बढ़ जाएगा।
तीन निजी मेडिकल कॉंलेजों की 500 सीटों को मान्यता नहीं मिलने से नीट दिए छात्रों को भी मुश्किल होगी। राज्य में इस वर्ष लगभग 15 हजार से ज्यादा छात्रों ने नीट दिया है। राज्य की मेडिकल सीटें कम होने से इनमें से अधिकांश छात्रों को काफी मुश्किल होगी, क्योंकि शासकीय कॉंलेजों में 3 प्रतिशत सेंट्रल पुल कोटा व 15 प्रतिशत ऑंल इंडिया कोटा से सीटें भरी जाएंगी। स्टेट कोटे की सीटों पर दाखिला संचालक चिकित्सा शिक्षा कार्यालय द्वारा किया जाएगा। एमसीआई की अनुशंसा पर लिए गए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इस निर्णय पर राज्य चिकित्सा षिक्षा के आला अधिकारियों, चिकित्सकों व शिक्षा विशेषज्ञों का भी मानना है कि इस वजह से राज्य में मेडिकल में दाखिला लेना आसान नहीं होगा।
सीटें कम होनें से छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा बढऩे के साथ कट ऑंफ भी बढ़ेगा। उल्लेखनीय है कि शंकराचार्य मेडिकल कॉंलेज को वर्ष 2017-18 के लिए एमबीबीएस की 150 सीटों पर दाखिले की अनुमति भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा कॉंलेज प्रबंधन के पक्ष में फैसला देने की वजह से मिली थी। एमसीआई की अनुशंसा पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य के कुल तीन कॉंलेजों जिनमें दो निजी (300 सीट) व एक शासकीय कॉंलेज (100 सीट) की मान्यता रोक दी थी। इस निर्णय के विरूद्ध शंकराचार्य कॉंलेज प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कॉंलेज के पक्ष में फैसला देते हुए एमबीबीएस की 150 सीटों पर दाखिले की अनुमति दी थी।