मुंबई। पेंसिलीन एंटीबायोटिक दवा पर हुए शोध में विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि इसके सेवन से एलर्जिक लोग खतरनाक सुपरबग का शिकार हो सकते है। इन लोगों को बीमार होने पर जेनेरिक एंटीबायोटिक दवाओं से काम चलाना होगा। एमआरएसए की वजह से खून में संक्रमण या निमोनिया भी हो सकता है। ऐसे लोगों में क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल हो सकता है, जिसमें गंभीर डायरिया और बुखार भी हो सकता है। यह अध्ययन ब्रिटेन के तकरीबन तीन लाख लोगों पर किया गया। इनमें से 64,141 लोग ऐसे थे, जो पिछले छह साल से पेंसिलीन से एलर्जी के शिकार थे। इस एंटीबायोटिक के प्रति एलर्जिक लोगों में एमआरएसए सुपरबग के संक्रमण का खतरा 69 फीसदी अधिक था। इन्हें क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल होने की आशंका भी 35 फीसदी तक अधिक होती है।
इस तथ्य ने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। उनका कहना कि जितने भी लोग यह मानते हैं कि उन्हें पेंसिलीन से एलर्जी है, उन्हें संक्रमण होने पर जेनेरिक एंटीबायोटिक दवा दी जा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे लोगों के सुपरबग का शिकार होने की अधिक आशंका है। पेंसिलीन से एलर्जिक लोगों को हल्के दर्जे की एंटीबायोटिक दवाएं देने से उनकी आंतों में मौजूद गुड बैक्टीरिया के नष्ट होने की भी आशंका रहती है। गुड बैक्टीरिया क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल होने से बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। बोस्टन स्थित मैसाच्यूसेट्स जनरल हॉस्पिटल में हुए शोध में विशेषज्ञों ने कहा कि अन्य एंटीबायोटिक दवाओं से बेअसर बैक्टीरिया सुपरबग का रूप ले सकता है, जिससे कमजोर और बुजुर्ग व बच्चों के लिए गंभीर स्थिति हो सकती है।
डॉ. किमबर्ले ब्लूमेंथल के अनुसार मरीजों को पेंसिलीन से एलर्जी के धोखे का भारी खामियाजा उठाना पड़ सकता है। पेंसिलीन जैसी एंटीबायोटिक दवा के प्रति एलर्जी के बारे में बचपन में पता चल जाता है। इसके लिए माता-पिता को भी अधिक जागरूक होने की जरूरत है। डॉ. किमबर्ले ब्लूमेंथल का कहना है कि जिन लोगों को लगता है कि उन्हें पेंसिलीन से एलर्जी है, उन्हें दोबारा अपना एलर्जी टेस्ट कराना चाहिए। बच्चों की त्वचा में रिएक्शन किसी अन्य कारण से भी हो सकता है। इसके अलावा जिन लोगों को पेंसिलीन से एलर्जी थी, उन्हें दोबारा जांच करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि एक अंतराल के बाद यह एलर्जी खुद ही खत्म हो जाती है क्योंकि हमारे शरीर का प्रतिरोधक तंत्र दवा से एलर्जी के बारे में भूल जाता है।