लुधियाना। जिला केमिस्ट एसोसिएशन अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई है। कारण यह कि कुछ दिनों से लुधियाना में रिटेल केमिस्ट शॉप्स पर सरकारी फार्मासिस्ट /पटवारी/तहसीलदार/एसडीएम/एसएमओ पुलिस के अमले के साथ रेड करने में लगे हैं। इसके विरोध में जिला लुधियाना केमिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों में एक जनरल बॉडी मीटिंग तथा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रशासन को मनमानियां रोकने की अपील की थी। दवा विक्रेताओं को बेवजह पुलिस कार्यवाही बल पर प्रताडि़त व लज्जित ना किया जाए। यह काम मात्र औषधि प्रशासन का है कि वह दवा विक्रेताओं की दुकानों पर किसी भी समय रेड कर सकते हैं। रिटेल केमिस्ट हो या होलसेल, किसी की दुकान को जांच करने के लिए मात्र ड्रग डिपार्टमेंट जा सकता है, ऐसा ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट में भी साफ वर्णित किया हुआ है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार को अच्छे से चेता दिया गया था कि दवा विक्रेताओं को परेशान किया गया तो जिला लुधियाना के केमिस्ट 16 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इस दौरान किसी भी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
जिला अध्यक्ष एवं राज्य कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी घोषणा की थी कि एक हेल्पलाइन नंबर आम जनता के लिए सार्वजनिक करेंगे ताकि किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में स्वयं रोगी के घर पर दवाएं उपलब्ध करवाएं ताकि उनकी मंशा स्पष्ट रहे कि वह किसी भी रोगी के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकते। इसके बावजूद 13 जुलाई को सरकारी अमला जिसमें पटवारी, तहसीलदार, पुलिस प्रशासन की मदद से दवा विक्रेताओं की दुकानों पर पुलिस लेकर पहुंच गया। ऐसे में दवा दुकानदारों ने निर्णय लिया कि सरकार के दबाव के आगे नहीं झुकेंगे। इसके चलते जिलेभर के सभी दवा व्यवसाई शनिवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। दवा व्यवसाइयों ने एकजुटता दिखाते हुए बिना देरी के अपनी-अपनी दुकानें बंद कर दी तथा आने वाले समय में किसी भी कठोर निर्णय लेने के लिए जिला अध्यक्ष एवं राज्य के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जीएस चावला को अधिकृत किया।
पंजाब में दवा विक्रेताओं पर अन्य प्रशासनिक अधिकारियों का पुलिस के दलबल सहित दवा व्यवसाइयों के प्रतिष्ठानों पर रेड और वह भी बिना एफडीए के, विभाग के अस्तित्व पर सवालिया निशान लगा देता है। जब एफडीए के अधिकार क्षेत्र में अन्य कार्यवाही करेंगे तो एफडीए के ड्रग्स इंस्पेक्टर, जोनल ऑफिसर, असिस्टेंट स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर, ड्रग्स कंट्रोलर के वजूद पर ही संदेह खड़ा हो जाएगा कि कहीं सरकार इस विभाग को किसी अन्य विभाग में विलय करने की तो नही सोच रही।