नई दिल्ली। एसिडिटी की दवा के सेवन से साइड इफेक्ट सामने आ रहे हैं। ये दवाएं न केवल हड्डियों को कमजोर बना रही हैं, बल्कि दिमागी बीमारी का भी खतरा बढ़ा रही हैं। इसके चलते आपको सचेत रहने की जरूरत है।

एसिडिटी से ग्रस्त कई लोग प्रोटॉन पंप इनहिबिटर जैसी दवाओं का सेवन करते हैं। ये दवाएं पेट में बनने वाली एसिड की मात्रा को कम करके राहत देती हैं। लेकिन लंबे समय तक इन दवाओं का इस्तेमाल गंभीर स्वास्थ्य समस्या पैदा कर सकता है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इन दवाओं के इस्तेमाल से हड्डियों की कमजोरी और डिमेंशिया जैसी दिमागी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

डिमेंशिया का खतरा

एक शोध में पाया गया है कि पीपीआई दवाओं का इस्तेमाल चार साल से ज्यादा समय तक करने पर डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है। यह दवाएं दिमाग में बनने वाले बीटा एमिलॉयड प्रोटीन पर प्रभाव डालती हैं, जो डिमेंशिया जैसी मानसिक बीमारियों से जुड़ा होता है। एसिडिटी की दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल शरीर में जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स के ऑब्जर्ब को भी कम कर सकता है।

इससे हड्डियों में कमजोरी और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ता है। पेट में एसिड की मात्रा कम होने से हानिकारक बैक्टीरिया का विकास होता है और इससे फूड पॉइजनिंग और गंभीर संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है। इन दवाओं को लंबे समय तक लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी है. ओमेप्राजोल जैसी दवाएं अधिकतम 14 दिनों तक ही ली जानी चाहिए। अगर कोई सुधार नहीं होता, तो इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।