पटना। ब्लैक फंगस का ऑपरेशन करा चुके सामान्य मरीजों को एम्स में डे-केयर की सुविधा मिलेगी। ऐसे मरीज जिनका ऑपरेशन हुए चार से पांच दिन हो चुके हों और उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है, उन्हें फंगस वार्ड से डिस्चार्ज किया जाएगा। ऐसे मरीजों को प्रतिदिन एम्स आकर एम्फोटेरिसिन का इंजेक्शन लेना होगा और उसके बाद फिर वे अपने घर जा सकेंगे। एम्स में नए मरीजों की बढ़ती संख्या और फंगस वार्ड में सीमित बेड की उपलब्धता के कारण एम्स प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। एम्स में ब्लैक फंगस वार्ड के नोडल पदाधिकारी डॉ. प्रशांत कुमार सिंह ने बताया ऑपरेशन करा चुके मरीजों को सिर्फ एम्फोटेरिसिन की दवा ही चलती है।

यह दवा 14 दिनों तक चलती है। सिर्फ इस दवा को लेने के लिए आधे से ज्यादा मरीज फंगस वार्ड में भर्ती हैं। ऐसे मरीजों को अगर घर पर भी यह इंजेक्शन का डोज मिले तो वे घर में ही रह सकते हैं। बताया कि यह दवा बाजार में नहीं मिलने से अस्पताल में ही देना पड़ता है। इसको देने में डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है। डे-केयर की सुविधा मिलने से मरीज प्रतिदिन आकर इंजेक्शन का डोज ले सकते हैं और अपने घर में रह सकते हैं। उन्हें भी घर का माहौल मिलेगा और दूसरी ओर नए मरीजों के लिए वार्ड में बेड की उपलब्धता मिलेगी।
अभी एम्स में ब्लैक फंगस के 98 मरीज हैं भर्ती

एम्स में ब्लैक फंगस से पीड़ित 98 मरीज भर्ती हैं। 17 मई को यहां 50 बेड के फंगस वार्ड की शुरुआत की गई थी। इसके बाद मरीजों की बढ़ी संख्या को देखते हुए बेड की संख्या बढ़ाकर 75 तक कर दिया गया है। कई कोरोना संक्रमित मरीज भी ब्लैक फंगस से पीड़ित हैं। 98 मरीजों में से 35 मरीज कोविड वार्ड में भर्ती हैं। एम्स के ईएनटी और आई ओपीडी में इस बीमारी के लक्षण वाले लगभग 30 से 35 संदिग्ध मरीज प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। इनमें से भर्ती योग्य मरीज छह से सात होते हैं।

ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों के लिए एम्फोटेरिसिन की दवा राज्य सरकार द्वारा दैनिक जरूरतों के आधार पर दी जा रही है। एम्स की ईएनटी विभाग की अध्यक्ष डॉ. क्रांति भावना ने बताया कि फिलहाल सरकार द्वारा इस दवा की 400 डोज प्रतिदिन उपलब्ध कराई जा रही है। इसमें अगर एक दिन भी बाधा उत्पन्न होती है तो मरीजों के लिए मुश्किल हो जाती है।