मेलबर्न। एंटीबायोटिक दवाओं से खतरनाक सुपरबग के बढऩे का खतरा बताया गया है। ऑस्ट्रेलिया के रिसर्चर्स ने एक कॉमन एंटीबायोटिक की पहचान की है। यह तकरीबन लाइलाज सुपरबग के बढऩे में मददगार है। एक शोध में इंटरनेशनल रिसर्चर्स ने पाया कि आमतौर पर लीवर डिजीज के इलाज के लिए दिए जाने वाले एंटीबायोटिक दवाइयों से मरीजों को खतरनाक सुपरबग का रिस्क बढ़ सकता है।

मेलबर्न यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में पीटर डोहर्टी इंस्टीट्यूट फॉर इंफेक्शन एंड इम्युनिटी और ऑस्टिन हेल्थ भी शामिल थे। गौरतलब है कि सुपरबग बैक्टीरिया, वायरस, पैरासाइट या फंजाई को दिया गया नाम है। जिनके इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एक या ज्यादा एंटीबायोटिक दवाओं के रेजिस्टेंस विकसित कर लिया है। जिसे एंटीमाइक्रोबियल के रूप में भी जाना जाता है.

वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने एएमआर को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ और डेवलपमेंट के लिए एक बड़ा खतरा बताया है। साथ ही यह अनुमान लगाया है कि 2019 में ग्लोबल लेवल पर इसकी वजह से 49.5 लाख लोगों की मौत हुई थी।

ये शोध पहले से चली आ रही इस धारणा को चुनौती देता है कि रिफैक्सीमिन से एएमआर होने का जोखिम कम है। रिफैक्सीमिन वीआरई को डैप्टोमाइसिन के प्रति प्रतिरोधी बनाता है, जो पहले कभी नहीं देखा गया। यह भी चिंता का विषय है कि ये डैप्टोमाइसिन-रेजिस्टेंट वीआरई हॉस्पिटल में अन्य रोगियों में भी फैल सकते हैं।