नई दिल्ली। निमोनिया संक्रमण को जड़ से मिटाने के लिए भारत ने पहली एंटीबायोटिक का निर्माण किया है। भारत ने समुदाय-अधिग्रहित बैक्टीरियल निमोनिया (सीएबीपी) नामक संक्रमण का तोड़ निकाल लिया है। वैज्ञानिकों ने पहली स्वदेशी एंटीबायोटिक दवा तैयार की है। इसकी तीन दिन में तीन अलग-अलग खुराक से संक्रमण कम किया जा सकेगा। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने वयस्कों में इस्तेमाल की सिफारिश की है।
बताया गया है कि इस एंटीबायोटिक दवा को मिकनाफ (नेफिथ्रोमाइसिन) नाम दिया गया है। यह दवा सीएबीपी रोगियों के लिए दिन में एक बार, तीन दिन तक दी जा सकती है। यह पहला उपचार है, जिसमें मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी (एमडीआर) संक्रमण वाले मरीज भी शामिल हैं। इस दवा पर 15 वर्षों में कई नैदानिक परीक्षण किए गए। इनमें अमेरिका और यूरोप में हुए पहले व दूसरे चरण के परीक्षण भी शामिल हैं। भारत में इस दवा ने हाल ही में तीसरा चरण पूरा किया था।
केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीएबीपी के कारण हर साल लाखों बुजुर्ग मरीजों की मौत हो रही है। सीएबीपी से सालाना दुनियाभर में मरने वालों में 23 फीसदी हिस्सा भारत का है। यह नई दवा इसलिए भी काफी अहम है।