जीरकपुर (पंजाब)। नकली दवाइयां बनाने-बेचने में शामिल दंपती को गिरफ्तार किया है। स्पेशल टास्क फोर्स ने जीरकपुर से उन्हें गिरफ्तार किया। दोनों ब्रांडेड कंपनियों की नकली दवाएं छह राज्यों में सप्लाई करते थे।

यह है मामला

नकली दवाओं के धंधे का उनकी फर्जी कंपनियों के खातों की जांच से हुआ है। इनमें दो साल में 14 करोड़ का लेनदेन सामने आया है। इनकी गिरफ्तारी पूरे रैकेट का पर्दाफाश करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना गया है। इस मामले में अब तक 12 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।

एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि आरोपी पानीपत (हरियाणा) निवासी प्रदीप कुमार और उसकी पत्नी श्रुति दोनों जीरकपुर में एक फ्लैट लेकर रह रहे थे। वे नकली दवाइयां पैक करने के लिए ब्रांडेड मेडिसिन कंपनी के प्रिंटेड एल्यूमीनियम फॉयल हिमाचल की फर्म से बनवाते थे। पानीपत में प्रदीप कुमार का एक एपी मेडिकोज नाम से मेडिकल स्टोर भी चलता है।

गिरोह का पर्दाफाश बीती एक जून को संतोष कुमार की गिरफ्तारी से हुआ था। उसके पास से भारी मात्रा में नकली दवा के रैपर, बॉक्स और क्यूआर कोड बरामद हुए थे। जांच में पता चला कि प्रदीप और उसकी पत्नी श्रुति इस गिरोह के प्रमुख सदस्य हैं। प्रदीप ने अपनी पत्नी के नाम पर साई फार्मा नाम से एक फर्म खोली थी। इसके माध्यम से वे नकली दवाओं का कारोबार कर रहे थे।

ये लोग देहरादून और हरिद्वार की फैक्टरियों से नकली दवाएं बनवाकर राजस्थान के भिवाड़ी मंगाते थे। वहां दवाओं को पैक करने के लिए नकली रैपर और एल्यूमीनियम फॉइल का इस्तेमाल किया जाता था।

इससे पहले गिरोह का मास्टरमाइंट नवीन बंसल, संतोष कुमार, आदित्य काला, देवी दयाल गुप्ता, पंकज शर्मा, विजय कुमार पांडे, प्रदीप गौड़, शिशिर सिंह, शैलेंद्र सिंह और तेजेंद्र कौर एसटीएफ की पकड़ में आ चुके हैं। इनमें पांच दवा कंपनियों के मालिक भी शामिल हैं।