नई दिल्ली : संसद के सेंट्रल हॉल में जैसे ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के तमाम संसद सदस्यों की मौजूदगी में एक देश-एक टैक्स यानी जीएसटी का घंटा बजाया तो दवा उत्पादन के बड़े हब बद्दी (हिमाचल) से जीएसटी के तहत पहला बिल काट कर माल रवाना किया गया। सैमसन दवा उद्योग द्वारा बिल सिस्टम सुधार की शुरुआत में सहयोगी बनी दवा कारोबार के बिलिंग सिस्टम को चलाने वाली नामी सॉफ्टवेयर कंपनी मार्ग कॉम्प्युसॉफ्ट। मार्ग के सीएमडी ठाकुर अनूप के मुताबिक, भारत के दवा जगत में उनके करीब 6 लाख ग्राहक हैं। खुशी की बात ये कि इस ‘कर क्रांंति’ के शुरुआती तीन दिनों में ही उनके तमाम ग्राहक जीएसटी प्रणाली फॉलो करने लगे हैं। अगले दो-तीन दिन में मार्ग से जुड़े सभी 6 लाख दवा कारोबारी इस श्रेणी में शामिल हो जाएंगे।
मेडीकेयर न्यूज से विशेष बातचीत में ठाकुर अनूप ने कहा कि जीएसटी को लेकर दवा जगत में मचे हाहाकार का बड़ा कारण जानकारी के अभाव में बेवजह फैलाया जा रहा भ्रम है जबकि तस्वीर साफ है। उन्होंने कहा कि चाहे रिटेल दवा विक्रेता हो या थोक कारोबारी, जीएसटी में 20 लाख तक तो कुछ करने की जरूरत ही नहीं है। 20 से 75 लाख तक दवा कारोबार करने वालों को भी रिटर्न में कुल सेल का फिगर बताना है तथा रिटेलर को 1 प्रतिशत और मैन्युफेक्चर को 2 प्रतिशत कर देना है। उसे अदा करने की भी तिमाही व्यवस्था है। 75 लाख से ऊपर के दवा कारोबारी को कुल सेल की वैल्यु बतानी है कि कितने प्रतिशत वाली कितनी दवा बेची है। बिजनस टू बिजनेस दवा कारोबार करने वाले मैन्युफेक्चर, डिस्टीब्यूटर को इनवाइस वाइज केवल इन्फॉर्मेशन दर्ज करनी है।
रही बात बिल पर जीएसटी के तहत एचएसन कोड प्रिंट करने की तो डेढ़ करोड़ तक तो प्रिंट करने की जरूरत ही नहीं। डेढ़ करोड़ से 5 करोड़ तक मात्र 2 करेक्टर में कोड प्रिंट करना है। उसमें भी सरकार ने बड़ी सहूलियत दी है कि 6 महीने तक किसी भी स्तर पर कोड प्रिंट करने की छूट रहेगी। उन्होंने कहा कि बिल प्रणाली में मार्ग सॉफ्टवेयर ने ग्राहकों को इतनी सरल सुविधा उपलब्ध करवाई है कि एक बटन से परसंटेज चेंज हो जाएगी। मार्ग का पूरा सिस्टम ऑटोमेटिक है।