नई दिल्ली। जेनेरिक दवा बाजार में भारतीय दवा उद्योग की मजबूत पकड़ बनी रहेगी। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने दवा उद्योग को 27 प्रतिशत के जवाबी शुल्क से छूट दी है। स्पष्ट है कि अमेरिकी जेनेरिक दवा बाजार में भारतीय दवा उद्योग की खास भूमिका को स्वीकार किया गया है।
गौरतलब है कि भारतीय दवा विनिर्माता अमेरिका में जेनेरिक दवा की जरूरत के 47 प्रतिशत की सप्लाई करते हैं। नई शुल्क नीति से अमेरिकी घरेलू बाजार में मरीजों के लिए दवा की कीमतें बढ़ जातीं। अमेरिका दवा की कमी से जूझ रहा है। निफ्टी फार्मा ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और 2.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। सन फार्मा, सिप्ला, ल्यूपिन जैसी कंपनियों के शेयरों में तीन से छह प्रतिशत के बीच वृद्धि देखी गई।
बता दें कि भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) देश की शोध संचालित बड़ी दवा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। इन कंपनियों की संयुक्त रूप से भारत के निर्यात में लगभग 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है। आईपीए ने कहा कि फार्मास्युटिकल को शुल्क से छूट देने का निर्णय सार्वजनिक स्वास्थ्य में सस्ती दवाओं की अहम भूमिका बताता है। आईपीए के महासचिव सुदर्शन जैन का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच मजबूत और बढ़ते द्विपक्षीय व्यापार संबंध हैं।
इसे मिशन 500 पहल के तहत व्यापार को दोगुना करके 500 अरब डॉलर तक ले जाने का साझा दृष्टिकोण है। फार्मास्युटिकल इस साझेदारी का आधार बना हुआ है और भारत सस्ती दवाओं की निरंतर आपूर्ति तय करके वैश्विक और अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा में अहम भूमिका निभाता है।