लुधियाना (पंजाब)। प्राइवेट अस्पताल में नवजात को मृत घोषित कर दिया। जब सिविल अस्पताल में ले जाया गया तो उसे जीवित बताया। हालांकि थोउ़ी देर बाद उसकी मौत हो गई। यह हैरतअंगेज मामला शहर में देखने को मिला। टिब्बा रोड स्थित निजी अस्पताल में नवजात की मौत को लेकर हंगामा मचा। आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने जन्म के बाद नवजात को मृत घोषित कर दिया। पिता के अनुसार बच्चे के शरीर में हरकत थी।

वह तत्काल बच्चे को लेकर सिविल अस्पताल पहुंचा। यहां भी उसकी हरकत जारी रही। 40 मिनट बाद डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। यदि जन्म के बाद बच्चे की सही देखभाल हुई होती तो उसकी जान बच सकती थी।

मेडीसिटी हेल्थ केयर सेंटर अस्पताल का कहना था कि बच्चा प्री मैच्योर पैदा हुआ था। इसके चलते उसकी मौत हो गई। नवजात के परिवार वालों ने अस्पताल के सामने हंगामा किया। लोगों ने सडक़ पर जाम लगा दिया। हंगामा करने पर निजी अस्पताल के डाक्टर खिसक गए। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें समझाया। सब इंस्पेक्टर कुलविंदर सिंह का कहना था कि जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी।

यह है मामला

आशु के अनुसार उसकी पत्नी पायल गर्भवती थी। निजी अस्पताल की डाक्टर ने उसकी डिलीवरी करवाई। डाक्टर ने कहा कि बच्चा मृत पैदा हुआ है और वह उसे ले जा सकते हैं। नवजात को अस्पताल में ही ट्रे में रखा दिया गया। इसी दौरान उन्हें बच्चे के शरीर में हरकत दिखी।

आरोप था कि निजी अस्पताल के स्टाफ ने जीवित शिशु को प्लेट में रखा। उस पर कोई कपड़ा तक नहीं लपेटा गया। जबकि वह कहते रहे कि उनका बच्चा जिंदा है। स्टाफ ने एक न सुनी।

वे नवजात को सिविल अस्पताल में लेकर गए। जहां बच्चा आधे घंटे तक जिंदा था। यदि निजी अस्पताल वालों ने गंभीरता दिखाई होती तो बच्चे की जान बच सकती थी। डाक्टर सिमरनप्रीत ने कहा कि उन्होंने मरीज को रेफर कर दिया था। परिवार वाले उसे लेकर नहीं गए। इसी कारण प्री मैच्योर डिलीवरी के अलावा कोई चारा नहीं था। इमरजेंसी में डिलीवरी की गई, जिसमें मृत बच्चा हुआ।