होम्योपैथिक विभाग को मिला लाइसेंस जारी करने का अधिकार

देहरादून। राज्य गठन के 19 वर्ष बाद आखिरकार होम्योपैथिक विभाग अब होम्योपैथिक औषधि के लाइसेंस जारी कर सकेगा। अभी तक यह लाइसेंस औषधि नियंत्रक, महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के जरिये जारी किए जाते थे। इसके साथ ही शासन ने औषधि निरीक्षकों का अधिकार जिला स्तरीय होम्योपैथिक चिकित्साधिकारियों को देने का निर्णय लिया है। अभी तक यह कार्य जिला स्तरीय एलोपैथिक चिकित्साधिकारी करते थे। प्रदेश में होम्योपैथिक की फैक्ट्री एवं स्टोर के लाइसेंस लंबे समय से स्वास्थ एवं परिवार कल्याण विभाग के जरिये दी जाती थी। इनका निरीक्षण करने का अधिकार एलोपैथिक चिकित्सकों के पास था। इस पर होम्योपैथिक विभाग आपत्ति जताता रहा है। विभाग का यह तर्क था कि यह दोनों अलग विधाएं हैं। एलोपैथी के चिकित्साधिकारी होम्योपैथी के बारे में कैसे यह कार्य कर सकते हैं। उन्होंने इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग से लंबे समय तक पत्राचार भी किया। बावजूद इसके इस मामले का कोई हल नहीं निकला। फिर यह मामला आयुष मंत्री हरक सिंह रावत के जरिये सरकार तक पहुंचाया गया। अब इसका संज्ञान लेते हुए शासन ने पुरानी व्यवस्था में बदलाव किया है। सचिव आयुष दिलीप जावलकर ने अब निदेशक होम्योपैथी को पूरे राज्य के लिए अनुज्ञापन प्राधिकारी नियुक्त करने संबंधी शासनादेश जारी किया है। यानी यह लाइसेंस अब निदेशक होम्योपैथिक विभाग के जरिये दिए जाएंगे। इसके अलावा उन्होंने जिलों में होम्योपैथी की फैक्ट्री और स्टोर के निरीक्षण के लिए जिला स्तरीय होम्योपैथिक अधिकारियों को उनके क्षेत्र में निरीक्षक नियुक्त करने संबंधी आदेश भी जारी किए हैं।

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