फूड में मिथाइलकोबालामीन की वैल्यू से संतुष्ट नहीं फार्मा इंडस्ट्री

अहमदाबाद। आपने विटामिन बी12 का नाम तो सुना होगा लेकिन कम ही लोगों को पता है कि यह विटामिन शरीर के लिए क्यों जरूरी है। असल में विटामिन बी12 पानी में घुलनशील होता है जिसको कोबालामीन कहते हैं। विटामिन बी12 मस्तिष्क, हड्डी, बाल, त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए भी बहुत जरूरी होता है। यह डीएनए और रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन के लिए भी जरूरी होता है। वैसे तो आमतौर पर इस विटामिन की कमी नहीं होती है लेकिन आजकल की लाइफ स्टाइल के कारण शरीर में पौष्टिकता की कमी होने पर विटामिन बी12 की कमी हो जाती है। डॉक्टर इसके लिए सप्लीमेंट या इंजेक्शन लेने की सलाह देते हैं। क्लिनिकल इंडस्ट्री के संचालन के अनुसार इंट्रामस्कुलर ड्रग में 2000 माइक्रोग्राम मिथाइलकोबालामीन की मात्रा सुरक्षित होती है। विटामिन बी12 के चार प्रकार मिथाइलकोबालामिन, साइनोकोबालामिन, हाइड्रॉक्सिकोबालामिन और एडिनोसिलकोबालामिन के शरीर के सोखने के प्रक्रिया भिन्न-भिन्न होती है। इंडस्टरी के एक्सपट्र्स का मानना है कि गैजेट विटामिन बी12 के बारे में जो नोटिफिकेशन देता है वह विटामिन बी12 के प्रकार और उसके शरीर के सोखने की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। अत: आरडीए और अपर लिमिट भी इस फैक्टर पर निर्भर करता है। फार्मासुटिकल इंडस्ट्री में इंट्रामस्कुलर ड्रग में 2000 माइक्रोग्राम मिथाइलकोबालामीन की मात्रा निर्धारित है लेकिन भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक (एफएसएसएआई) प्राधिकरण ने मिथाइलकोबालामीन की 1 माइक्रोग्राम मात्रा का निर्धारण किया है जो आरडीए (रिकमेंडेड डायट्री अलावेंस) से बहुत ही कम है। फार्मासुटिकल इंडस्ट्री में इंट्रामस्कुलर ड्रग का उपयोग बीमारी के इलाज के लिए किया जाता है और एफएसएसएआई का रोकथाम करने के लिए किया जाता है, तो समझने वाली बात यह है कि अगर ड्रग में इस्तेमाल किये गए 2000 माइक्रोग्राम मिथाइलकोबालामीन की मात्रा से सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुँच रहा है तो फूड्स में मिथाइलकोबालामीन की वैल्यु 500 माइक्रोग्राम करने पर इससे सेहत को कोई क्षति नहीं पहुँचेगी। इसलिए फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री का दावा है कि ड्रग में मिथाइलकोबालामीन की जितनी सीमा निर्दिष्ट की है वही, सहनशील अनुमानित सीमा भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण में होनी चाहिए।
मिथाइलकोबालामीन का जो आरडीए वैल्यु है, उसको लेकर फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री संतुष्ट नहीं है। इस विषय को लेकर लिडिंग फार्मा कंसल्टेंट डॉ. संजय अग्रवाल, अहमदाबाद का कहना है कि मिथाइलकोबालामिन का आरडीए वैल्यु1 माइक्रोग्राम है जो कि 500 माइक्रोग्राम होना चाहिए। एफएसएसआई ने मिथाइलकोबालमिन की किसी भी सहनशील ऊपरी सीमा की पहचान नहीं की है। इसलिए इंडस्ट्री ने लिखित रूप में एफएसएसआई से मिथाइलकोबालामिन के किसी भी प्रकार के टॉलरेब्ल अपर लिमिट को स्पेसिफाई करने के लिए कहा है। एक्सपर्ट इंडियन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च डेटा पर आधारित न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑड्र्स में मिथाइलकोबालामीन के लिए एफएसएसएआई आरडीए मूल्यों में स्पष्टता की कमी पर चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार इसमें वैज्ञानिक प्रमाण और औचित्य का अभाव है।
एक्सपट्र्स ने सूचित किया है कि एफएसएसएआई के साइनटिफिक पैनल और साइनटिफिक कमिटी ने इस संदर्भ में आईसीएमआर और कोडेक्स के संदर्भ का उपयोग करते हुए विभिन्न माइक्रोन्यूट्रिएन्ट्स के लिए विटामिन और खनिजों में आरडीए मूल्यों की सलाह दी है। डॉ. अग्रवाल इस संदर्भ में तर्क देते हुए बताते हैं कि कोटेशन यह है कि साइनटिफिक पैनल और साइनटिफिक कमिटी ने मिथाइलकोबालामीन के लिए प्रति दिन 1 माइक्रोग्राम के आरडीए वैल्यु की सलाह दी है। टेक्निकल टीम को यह समझना चाहिए कि मिथाइलकोबालामीन सिंगल कंपोनेन्ट नहीं है। वहाँ चार प्रकार के बी12 और मानव शरीर सभी चार प्रकार के बी12 विटामिनों के लिए अलग-अलग प्रतिक्रिया करता है।
मिथाइलकोबालामिन का उपयोग न्यूरोप्रोटेक्शन और इसके रखरखाव के लिए किया जाता है। आरडीए को संशोधित किया जाना चाहिए और पुराने डेटा या अध्ययन के आधार पर निर्धारित नहीं किया जाना चाहिए। भारतीय वातावरण अलग है जहां हम ज्यादा शाकाहारी भोजन करते हैं और मिथाइलकोबालामिन का स्रोत अधिक मांसाहारी भोजन होता है। यही कारण है कि एफएसएसएआई को मिथाइलकोबालामिन कंसन्ट्रेशन पर फिर से विचार करना चाहिए।
फार्मा एक्सपर्ट अंशु यादव एक उदाहरण देकर बताती हैं कि एक प्रकार का विटामिन बी12, मिथाइलकोबालामिन का सेवन जब किया जाता है, तब वह सीधे अवशोषित हो जाता है, लेकिन जब दूसरे प्रकार का विटामिन बी12 साइनोकोबालामिन का सेवन किया जाता है, तब केवल इसका दसवां हिस्सा मिथाइलकोबालमिन में परिवर्तित हो पाता है और शरीर द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। इसलिए, अगर 1 माइक्रोग्राम मिथाइलकोबालमिन लिया जाता है, तो शरीर साइनोकोबालामिन के 1 माइक्रोग्राम की तुलना में अलग तरह से प्रतिक्रिया करेगा। अत: सेहत के नजरिये से मिथाइलकोबालामीन के वैल्यु के बारे में एफएसएसआई को फिर से विचार करने की जरूरत है।

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