टीबी रोगियों का घर बनी दिल्ली

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली टीबी से ग्रस्त रोगियों का घर बन गई है। यह हम नहीं, बल्कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट कह रही है। हाल ही में जारी मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में टीबी के सबसे अधिक मामले दिल्ली में है। यहां हर एक लाख की आबादी में 348 लोग टीबी रोगी हैं। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में वर्ष 2015 में एक लाख की आबादी पर 337 लोग टीबी से ग्रस्त मिले थे।

यह आंकड़ा वर्ष 2016 में बढक़र 348 हो गया। केंद्र शासित राज्यों में चंडीगढ़ में एक लाख की आबादी पर 305 लोग टीबी से पीड़ित हुए। दिल्ली व चंडीगढ़ इन दो जगहों पर ही नोटिफिकेशन दर 300 से अधिक है। बड़े राज्यों में जम्मू-कश्मीर में टीबी की नोटिफिकेशन दर 72 व हिमाचल प्रदेश में 207 है। गुजरात, केरल, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार, सिक्किम व दिल्ली में वर्ष 2015 के मुकाबले वर्ष 2016 में एक लाख की आबादी पर टीबी के 10 मरीज बढ़ गए।

हालांकि डॉक्टरों का कहना है दिल्ली में इस बीमारी में सबसे अधिक वृद्धि इसलिए दर्ज की जाती है क्योंकि यहां अस्पतालों व टीबी सेंटरों में जांच व इलाज की सुविधा बेहतर है और अधिक से अधिक मरीजों की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को भेजी जाती है। टीबी की रोकथाम के लिए हर मरीज की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देना अनिवार्य है।

टीबी सेंटर के निदेशक डॉ. केके चोपड़ा का कहना है कि दिल्ली में जांच की सुविधा अच्छी है इसलिए अधिक मरीज रिपोर्ट किए जाते हैं। यहां विस्थापित लोग भी अधिक रहते हैं। झुग्गी बस्तियों में लोग टीबी से अधिक पीडि़त होते हैं। बत्रा अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. डीएन झा ने भी कहा कि जांच व इलाज के अलावा यहां मरीजों का रिपोर्टिंग सिस्टम अच्छा है। इसके अलावा दिल्ली में जनसंख्या का घनत्व अधिक है व घरों में वेंटिलेशन की सुविधा नहीं होती। फेफड़े की टीबी की बीमारी खांसने से फैलती है। यहां भीड़ होने के कारण टीबी का संक्रमण अधिक होने का खतरा रहता है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में खुला क्षेत्र होने के कारण संक्रमण कम होता है।

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