चंडीगढ़। निरीक्षण में जब्त दवा की पूरी मात्रा जांच के लिए लैब में भेजने की जरूरत नहीं है। इस संबंध में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने आदेश पारित किए हैं।
एक फैसले में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि जब्त किए मादक पदार्थों की पूरी मात्रा जांच के लिए भेजना नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 के तहत जरूरी नहीं है। जब्त किए गए प्रतिबंधित पदार्थ का मिश्रित बैच फोरेंसिक जांच के लिए काफी है।
न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और न्यायमूर्ति सुदीपी शर्मा की खंडपीठ ने दीपक कुमार बनाम पंजाब राज्य (सीआरए-एस-5190-एसबी-2015) के साथ-साथ कई अन्य संबंधित अपीलों में आदेश पारित किया।
न्यायिक प्रक्रिया के दौरान मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के मामले को नलेकर अपील की गई थी। इस मामले में दीपक कुमार, गुरप्रीत सिंह उर्फ टीटू, अमरजीत कौर और अन्य सहित अपीलकर्ताओं ने जब्त किए गए मादक पदार्थों के अनुचित प्रबंधन के आधार पर अपनी सजा को चुनौती दी। इन मामलों में मुख्य रूप से रेक्सकोफ सिरप और फिनोटिल टैबलेट जैसी निर्मित दवाओं की जब्ती शामिल है। इन्हें आमतौर पर एनडीपीएस अधिनियम के तहत मनोदैहिक पदार्थों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
बचाव पक्ष का कहना था कि अभियोजन पक्ष जब्त किए गए प्रतिबंधित पदार्थ की पूरी मात्रा को फोरेंसिक विश्लेषण के लिए न भेजकर उचित प्रक्रियाओं का पालन करने में विफल रहा है। अपीलकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस प्रक्रियात्मक चूक ने उनके अधिकारों का उल्लंघन किया। सैंपल लेने से पहले जब्त किए गए प्रतिबंधित पदार्थ को एकरूपता से मिलाने में विफलता ने फोरेंसिक परिणामों की अखंडता पर संदेह पैदा कर दिया है।