नई दिल्ली। मरीज को दवा के साइड इफेक्ट बताने के लिए चिकित्सकों को बाध्य नहीं किया जा सकता। इस संबंध में दायर यायिका को सप्रीम कोर्ट ने कैंसिल कर दिया है। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने मामले पर सुनवाई की। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने मामसे में सुनवाई की थी और याचिका को खारिज कर दिया था।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने जोर देकर कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
डॉक्टरों को अपने मरीजों को उनके द्वारा लिखी जा रही दवाओं के संभावित साइड इफेक्ट के बारे में सूचित करना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है। इसका पालन करें तो एक सामान्य चिकित्सक 10-15 से अधिक मरीजों का इलाज नहीं कर सकेगा। ऐसे में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत मामले दर्ज हो सकते हैं।
प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि इससे चिकित्सा लापरवाही के कंज्यूमर प्रोटेक्शन मामलों से बचने में मदद मिलेगी। पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि डॉक्टर कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हैं, जिसने मेडिकल प्रोफेशनल को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में लाया है। पीठ ने कहा कि एक डॉक्टर अलग-अलग मरीजों को अलग-अलग दवाएं लिख सकता है। दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि वह याचिका पर विचार करने के लिए उत्सुक नहीं है।