कोरबा (छतीसगढ़)। निजी अस्पताल में इलाज के बिल को लेकर हंगामा और तोडफ़ोड़ करने का मामला प्रकाश में आया है। न्यू कोरबा हॉस्पिटल में मरीज के परिजन और अस्पताल प्रबंधन के लोग आपस में भिड़ गए। उसके बाद जमकर बवाल और हुआ तोडफ़ोड़ की गई। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार मरीज के इलाज का लगभग ढाई लाख रुपये का बिल बकाया था। इस बिल को चुकाने से मरीज के परिजन बचना चाह रहे थे। इसी मुद्दे को लेकर मरीज के परिजनों ने अस्पताल में तोडफ़ोड़ की।

उधर, परिजनों का आरोप है कि मरीज की हालत कैसी है, इसे लेकर परिजनों को अंधेरे में रखा गया। लंबा चौड़ा बिल थमा दिया गया, लेकिन मरीज का ठीक तरह से इलाज नहीं किया । इस मामले की दोनों ही पक्षों ने सिविल लाइन थाने में शिकायत की है, जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

अस्पताल प्रबंधन की ओर से डायरेक्टर डॉ .एस. चंदानी ने बताया कि मरीज को कटघोरा में एक सडक़ हादसे के बाद गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दुर्घटना के बाद से ही मरीज की हालत नाजुक थी और उसे बार-बार उल्टियां हो रही थीं। उसके फेफड़ों में पानी (एस्पिरेशन) चला गया था। ऐसी स्थिति में यदि उसे तुरंत इलाज न मिलता, तो जान जाने का खतरा था। एनकेएच में भर्ती होने के बाद मरीज की स्थिति में काफी सुधार हुआ था और उसका स्वास्थ्य पहले से बेहतर हो चुका था। मरीज के परिजन अब उसे दूसरे अस्पताल में रेफर करने की मांग कर रहे थे। जब उन्हें बताया गया कि पहले बकाया राशि का भुगतान करना जरूरी है, तो वे उग्र हो गए। उसके बाद उन्होंने तोड़ फोड़ की। इसके बाद वे मरीज और उसकी इलाज संबंधी फाइलें लेकर चले गए।

परिजनों का ये है आरोप

मरीज के भाई त्रिवेंद्र सिंह ने बताया कि मरीज के इलाज के संबंध में हमें कभी भी ठीक तरह से जानकारी नहीं दी गई। पहले बताया गया की हालत गंभीर है। फिर कहा कि हालत में सुधार हो रहा है। इसके बाद कह दिया कि आप जहां ले जाना चाहते हैं, ले जाइए। हमें गुमराह किया गया। 5 लाख का बिल थमा दिया गया, लेकिन इलाज के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया। मरीज की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है, जिसे लेकर हम अब रायपुर जा रहे है। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन और मरीज के परिजनों ने पुलिस में शिकायत दी है। सिविल लाइन थाना प्रभारी टीआई प्रमोद डनसेना ने कहा कि हमने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।