G20 Presidency: पारंपरिक चिकित्सा की पद्धति पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ मिलकर भारत पूरी दुनिया का नेतृत्व करेगा। जिनेवा में आयोजित 10 दिवसीय 76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (G20 Presidency) में इसकी शुरुआत हो चुकी है। पारंपरिक चिकित्सा को लेकर भारत ने सभी सदस्यीय देशों के साथ दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया है।
सभा (G20 Presidency) में आयुर्वेद, होम्योपैथी, सिद्धा, यूनानी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति पर चर्चा
सभा के दौरान केंद्रीय आयुष मंत्रालय के विशेष सचिव प्रमोद कुमार पाठक ने भारत में आयुर्वेद, होम्योपैथी, सिद्धा, यूनानी जैसी पारंपरिक चिकित्सा के जरिये आने वाले बदलावों पर पूरी चर्चा की। बता दें कि विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) इससे पहले 2014-2023 नीति के तहत काम किया जा रहा था, लेकिन अब WHO 2025-2034 तक के लिए नई वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा रणनीति का मसौदा तैयार कर रहा है।
स्वास्थ्य आपत्तियों के कारण WHO का बजट हुआ कम
पिछले कुल सालों में दुनिया भर के देशों में 53 स्वास्थ्य आपत्तियां आयी। इनमें हैजा और डायरिया से लेकर कोरोना महामारी तक शामिल है। इन बीमारियों से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) का सालाना बजट कम हो गया है। डब्ल्यूएचओ के एक वरिष्ठ सलाहकार का कहना है कि दुनिया भर में स्वास्थ्य आपात स्थितियों की बढ़ती संख्या ने संगठन का खर्चा बढ़ाया है। जिनेवा में आयोजित 10 दिवसीय 76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में सभी देशों ने मिलकर डब्ल्यूएचओ के सालाना बजट 2024-25 में करीब 20 प्रतिशत बढ़ोतरी का समर्थन किया है।
भारत दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि , भारत दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली और आयुर्वेद का घर है। इसकी अनूठी ताकत सामने आने के साथ, दुनिया भर में आयुष उपचारों की मांग बढ़ी है। उन्होंने कहा कि भारत में अब तक 220 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन दी गई है। इसके साथ ही अन्य कई देशों को वैक्सीन मैत्री के पहल से लाखों टीके भेजे भी गए। हील बाय इंडिया पहल को ‘वसुधैव कुटंबकम’ के आधार पर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में स्वास्थ्य कार्यबल की गतिशीलता बढ़ाने के इरादे से बनाया है।
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