नई दिल्ली। देश में बढ़ती महंगाई चर्चा में है। मगर कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो हमेशा महंगी ही रहती हैं। इनमें से एक हैं दवाइयां। कुछ बीमारियों के इलाज और उसके लिए इस्तेमाल होने वाली दवाइयां हमेशा महंगी ही रहती हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे महंगी दवाई कौन सी है और ये किस रोग के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है। आइए फटाफट जान ही लेते हैं।

गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है। ऐसी ही एक गंभीर बीमारी है स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी। इसके इलाज के लिए दुनिया की सबसे महंगी दवाई का इस्तेमाल होता है। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस ने इस गंभीर बीमारी को ठीक करने के लिए जोलजेन्स्मा नाम की दवा को मंजूरी दी है।

जोलजेन्स्मा की एक खुराक की कीमत 18 करोड़ रुपये से अधिक है। हालांकि, कई जगहों पर इसकी कीमत 16 करोड़ रुपये भी बताई जाती है। ब्रिटेन से पहले अमेरिका ने इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। SMA बहुत ही दुर्लभ बीमारी है और यह इंसान के शरीर में एसएमएन-1 जीन की कमी से होती है। इस बीमारी से मरीजों के सीने की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।

जोलजेन्स्मा को दुनिया की प्रसिद्ध दवा कंपनी नोवार्टिस ने विकसित किया है। इसकी कीमत 1.79 मिलियन पाउंड यानी 18.11 करोड़ रुपये है। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस ने अपने एक बयान में कहा था कि नोवार्टिस जीन थैरेपी द्वारा निर्मित जोलजेन्स्मा दुनिया की सबसे महंगी दवा हो सकती है।

ब्रिटेन में प्रत्येक साल करीब 80 बच्चे SMA बीमारी के साथ पैदा होते हैं। इस बीमारी में बच्चे की स्पाइनल कॉर्ड में लकवा हो सकता है। SMA के इलाज में जोलजेन्स्मा दवा काफी कारगर है। यह जीन की कमी को पूरा करती है।

जोलजेन्स्मा का ट्रायल 7 से 12 महीने तक के उम्र वाले बच्चों पर किया गया। इस दवा के बाजार में आने से पहले अमेरिका में और यूरोप के राष्ट्रीय डॉक्टरों जांच की थी। यह दुनिया की पहली जीन थैरेपी है, जिसे दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए तैयार किया गया है।