एनपीसी में सरकारी मुख्य फार्मासिस्ट को शामिल करे सरकार : IPA

फार्मासिस्ट

चेन्नई। एनपीसी के राज्य आयोग में एक सरकारी मुख्य फार्मासिस्ट भी शामिल किया जाना चाहिए। यह गुहार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से अखिल भारतीय निकाय इंडियन फार्मास्युटिकल एसोसिएशन (आईपीए) ने की है। बता दें कि आईपीए देश में फार्मेसी पेशेवरों का एक संगठन है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को भेजा ड्राफ्ट

सरकार से कहा गया है कि राष्ट्रीय फार्मेसी आयोग (एनपीसी) के राज्य चैप्टर में एक सरकारी फार्मासिस्ट भी पदेन सदस्य के रूप में शामिल करें। आईपीए अध्यक्ष डॉ. टीवी नारायण ने एनपीसी के तहत गठित होने वाले राज्य स्तरीय आयोगों में वरिष्ठ सरकारी फार्मासिस्टों को शामिल करने की जरूरत बताई गई है। इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को एक ड्राफ्ट भेजा गया है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों और सामुदायिक फार्मेसियों में फार्मासिस्ट पेशे की रीढ़ हैं।

मुख्य फार्मासिस्ट को पदेन सदस्य बनाएं

ड्राफ्ट के अनुसार सरकारी क्षेत्र या सामुदायिक क्षेत्र के कार्यरत फार्मासिस्टों को राष्ट्रीय आयोग में प्रतिनिधित्व नहीं है। राज्य फार्मेसी आयोग को सरकारी संस्थान के एक मुख्य फार्मासिस्ट को पदेन सदस्य के रूप में शामिल करना चाहिए।

ये है मसौदा

आईपीए अध्यक्ष ने कहा कि मसौदे की धारा 23 (3) बी में चार पदेन सदस्यों के साथ राज्य चैप्टर के गठन के बारे में कहा गया है। इसे फिर से लिखा जाना चाहिए कि पदेन सदस्यों में सरकारी संस्थान से एक मुख्य फार्मासिस्ट शामिल होना चाहिए। इसी प्रकार, धारा 34 (2) (जे) राष्ट्रीय आयोग के तहत फार्मेसी सलाहकार परिषद में एक अंशकालिक सदस्य को शामिल करने से संबंधित है।

राष्ट्रीय आयोग के सदस्यों में से एक हो अध्यक्ष

आईपीए ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय अनुभाग में बदलाव करके किसी भी पेशेवर फार्मेसी एसोसिएशन के प्रमुख शब्द को भारतीय फार्मास्युटिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष से बदल दे। आईपीए 1939 से फार्मेसी के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाला सबसे पुराना और सबसे बड़ा पेशेवर संघ है। इसका ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स अधिनियम के अनुसार ड्रग तकनीकी सलाहकार बोर्ड में प्रतिनिधित्व है। इसलिए आईपीए का अध्यक्ष राष्ट्रीय आयोग के सदस्यों में से एक को बनाया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय आयोग के सचिव के रूप में नियुक्ति के लिए प्रशासनिक क्षमताओं, फार्मेसी पेशे के प्रत्येक खंड में विशेषज्ञता और फार्मास्युटिकल विज्ञान में स्नातकोत्तर शिक्षा वाले व्यक्तियों को प्राथमिकता देनी चाहिए।