फार्मास्युटिकल सेक्टर को बजट 2024 से बंधी हैं ये उम्मीदें

मुंबई। फार्मास्युटिकल सेक्टर को आगामी बजट 2024 से काफी उम्मीदें बंधी हैं। दरअसल, फॉर्मा सेक्टर कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है। इंडस्ट्री के स्टेक होल्डर्स ने नीतिगत उपायों और इंसेंटिव्स से बहुत उम्मीदें पाल रखी हैं। यह डेवलपमेंट और इन्नोवेशन को प्रोत्साहित कर सकेंगी।

इंडस्ट्री को चाहिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंसेंटिव्स

फार्मा इंडस्ट्री इन्नोवेशन और ग्लोबल कंपटीशन के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट पर ज्यादा निर्भर करता है। स्टेकहोल्डर्स को उम्मीद है कि सरकार रिसर्च एवं डेवपलमेंट इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में राहत देगी। उन्हें सब्सिडी की भी उम्मीद है। इससे स्वदेशी मेडिसिन के बारे में रिसर्च और डेवलपमेंट को प्रोत्साहित करने से इंडस्ट्री की कैपेसिटी बढ़ेगी। वहीं, भारत इन्नोवेशन के केंद्र के तौर पर स्थापित होगा।

फार्मा पार्कों के लिए बेसिक इन्फ्रा

डेडिकेटेड फार्मा पार्कों की स्थापना से सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है। इससे बुनियादी ढांचे में वृद्धि हो सकती है। रेगुलेटरी प्रॉसेस को भी सिस्टमैटिक किया जा सकता है। इंडस्ट्री को उम्मीद है कि ऐसे पार्कों के निर्माण को प्रोत्साहित करने, मैन्युफैक्चरिंग और रिसर्च के लिए फेवरेबल एन्वॉयर्नमेंट को बढ़ावा देने के लिए फाइनेंशियल सहायता मिलेगी।

सिंप्लीफाइड रेगुलेटरी फ्रेमवर्क

नई दवाओं के लिए अप्रूवल दिए जाने की समय सीमा तय करने और कांप्लायंस बर्डेन को कम करने के लिए रेगुलेटरी प्रॉसेस को सुव्यवस्थित और सरल बनाना काफी महत्वपूर्ण है। उम्मीद है कि सरकार बिजनेस प्रॉसेस को सरल करने के प्रयास जारी रखेगी। इससे दवा कंपनियों के लिए भारत में काम करना अधिक आकर्षक हो जाएगा।

किफायती हेल्थ केयर सर्विस

कोविड-19 महामारी ने एक मजबूत हेल्थ केयर सिस्टम के महत्व को काफी बढ़ा दिया। फार्मा इंडस्ट्री को उम्म्मीद है कि स्वास्थ्य सेवाओं और दवाओं की पहुंच और सामथ्र्य को बढ़ाने वाली पहल हो। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और बीमा कवरेज का विस्तार करने के उपाय इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

सीमा शुल्क में कटौती

ग्लोबल मेडिसिन सप्लाई करने वाले देशों में से भारत एक प्रमुख देश है। एपीआई जैसे महत्वपूर्ण कच्चे माल पर सीमा शुल्क कम करने से घरेलू मैन्युफैक्चरिंग किफायती हो सकता है। इंडस्ट्री को एक पेवरेबल सीमा शुल्क स्ट्रक्चर की उम्मीद है। इससे लोकल प्रोडक्शन को सपोर्ट मिलेगा और इंपोर्ट पर निर्भरता कम होगी।

ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग के लिए इंसेटिव

फार्मास्युटिकल सेक्टर

ग्लोबल फोकस के साथ, इंडस्ट्री ग्रीन और सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग प्रॉसेस के लिए इंसेटिव की भी जरूरत महसूस की गई है। पर्यावरण-अनुकूल टेक्नोलॉजीज को अपनाने और फार्मास्युटिकल प्रोडक्शन के पर्यावरणीय फूटप्रिंट्स को कम करने के लिए वित्तीय सहायता वैश्विक स्थिरता लक्ष्यों के अनुरूप हो सकती है।

कौशल विकास और ट्रेनिंग प्रोग्राम

फार्मा इंडस्ट्री को तेजी से विकसित हो रहे लैंडस्केप की मांगों को पूरा करने के लिए स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत है। स्किल्ड प्रोफेशनल्स का एक समुह यह तय करने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम्स, स्किल डेवलपमेंट पहलों के लिए शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग में निवेश शामिल है।

हेल्थ सर्विस डिस्ट्रीव्यूशन में सुधार के लिए डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजीज को अपनाने में तेजी लाना भी जरूरी है। इंडस्ट्री को बजट में टेलीमेडिसिन, हेल्थ इनफॉरमेशन एक्सचेंज और अन्य डिजिटल हेल्थ सल्यूशंस को बढ़ावा देने वाली पहल के लिए संसाधन आवंटित करने की उम्मीद है। इससे न केवल रोगी देखभाल में वृद्धि होगी, बल्कि डिजिटल चिकित्सा विज्ञान में फार्मा सेक्टर के लिए अवसर भी पैदा होंगे।