भारतीय फार्मा के लिए अमेरिका की आपदा बनेगी सुनहरा अवसर !

नई दिल्ली। भारतीय फार्मा के लिए अमेरिका में दवाओं की भारी कर्मी एक सुनहरा अवसर बन सकती है। भारत नए दवा उत्पादों को लॉन्च करके अमेरिका में अपना व्यापार बढ़ा सकता है। दरअसल, अमेरिका में स्तन कैंसर से लेकर ब्लैडर और ओवरी कैंसर के कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली जरूरी दवाइयों की भारी कमी हो चुकी है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे भारतीय दवा कंपनियों को फायदा हो सकता है। मुंबई स्थित इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा है कि भारतीय दवा निर्माता अमेरिका में दवा की कमी की वजह से वित्तीय वर्ष 2025 में अपने राजस्व में सुधार बनाए रखेंगे।

जेनेरिक दवाओं का बड़े स्तर पर निर्माण

गौरतलब है कि भारत में जेनेरिक दवाओं का बड़े स्तर पर निर्माण होता है। कई बड़े ड्रगमेकर्स जैसे डॉ. रेड्डीज, सिपला, सन फार्मा देश के बाहर और अमेरिका, यूरोप में अच्छी खासी कमाई करते हैं। अमेरिका अपनी ज्यादातर दवाइयों को आपूर्ति भारत से ही करता है। भारतीय कंपनियों को अमेरिका की कुछ दिवालिया हो चुकीं जेनरिक कंपनियों के मैदान से बाहर निकलने का मौका मिलेगा। वहीं, भारत नए उत्पादों को लॉन्च करके व्यापार को बढ़ा भी सकता है।

बताया गया है कि अमेरिका में कोविड लॉकडाउन के समय सीजनल बीमारियों को ठीक करने के लिए दवाओं की मांग एनुअल एवरेज से ज्यादा हो गई थी। फार्मा कंपनियों पर इस मांग को पूरा करने का दबाव बढ़ता गया। वहीं, रूस-यूक्रेन संकट के चलते सप्लाई चेन प्रभावित हुई। इससे जेनेरिक दवा निर्माताओं पर भारी असर पड़ा। जब दवाओं की कमी की घोषणा हुई तो लोगों ने पहले से ही दवा का स्टॉक भर कर घर पर रख लिए।

फिलहाल हालात ये हैं कि बढ़ती नियामक लागत के कारण कई अमेरिकी बेस्ड जेनेरिक फार्मा निर्माताओं ने कुछ दवाओं का प्रोडक्शन रोक दिया है। नई दवाओं के लिए आवेदन दाखिल करने का प्रॉसेस भी काफी जटिल हो चुका है। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय दवा कंपनियां स्पलाई चेन का विस्तार कर और चिकित्सीय श्रेणियों में भागीदारी बढ़ाकर इस गैप को भर सकती हैं।