हार्ट पेशेंट को सरकारी अस्पताल के डॉक्टर दे रहे खास किताब

कानपुर। सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में दाखिल हार्ट पेशेंट को एक खास किताब दी जा रही है। आप जानकर हैरान होंगे कि इस बड़े कार्डियोलॉजी संस्थान में दिल के मरीजों के इलाज में धर्म और अध्यात्म का भी सहारा लिया जा रहा है।

इलाज में धर्म और अध्यात्म का भी सहारा

गौरतलब है कि आजकल दिल के रोगों से पीडि़त मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लगातार ऐसी घटनाएं भी सामने आ रही हैं कि जिसमें हार्ट समस्या जानलेवा साबित हुई है। हार्ट पेशेंट को जब इलाज के लिए हॉस्पिटल में दाखिल करवाया जाता है तब उनके मन में डर होता है। इस डर और कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए ही राज्य के बड़े सरकारी हार्ट हॉस्पिटल ने नई शुरुआत की है। यहां कार्डियोलॉजी संस्थान में दिल के मरीजों के इलाज में धर्म और अध्यात्म का भी सहारा लिया जाने लगा है।

मुफ्त बांटी जाती हैं ये किताब 

यहां दवाओं के साथ-साथ मरीजों को श्रीमदभगवद गीता, सुंदरकांड, रामायण, हनुमान चालिसा मुफ्त बांटी जाती हैं। मरीज के भर्ती होते ही उसे ये किताब दी जाती हैं। मरीजों को इन्हें पढऩे के लिए कहा जाता है। इससे मरीज को अपने जीवन का असली सार समझ पाने में मदद मिलती है।

इलाज में मिल रहा फायदा

यहां के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नीरज कुमार के अनुसार जब मरीज यहां भर्ती होने आता है तो उसके दिमाग में काफी चीजें चल रही होती हैं। इस तनाव को कम करने में इन किताबों से मदद मिलती है। हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद मरीज और भी कई बातें सोचने लगता है। इन हालात में हम किताबों के माध्यम से उसका ध्यान दूसरी जगह लगाते हैं। इससे इलाज में मदद मिलती है।

हृदय रोगी को स्थिर रखना सबसे जरूरी

हृदय रोगी को स्थिर रखना सबसे जरूरी होता है। उसकी हालत और ज्यादा ना बिगड़े, इस बात का ख्याल रखना पड़ता है। उसका बीपी, शुगर, पल्स रेट सबको स्थिर रखना होता है। अगर इनमें से कुछ भी बढ़ा तो ऑपरेशन करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ये धार्मिक किताबें मदद करती हैं।

डॉक्टर के अनुसार बीते एक साल से हम ये कार्य कर रहे हैं। सालभर में करीब 600 मरीजों को धार्मिक किताबें बांटी गई हैं। इन किताबों को पढक़र मरीज थोड़ा सामान्य व्यवहार करता है। ऑपरेशन को लेकर उसका डर भी खत्म हो जाता है।

ये बोले मरीज

इस सरकारी अस्पताल में भर्ती कई मरीजों से बात की गई। हार्ट पेशेंट मनोज ने इन धार्मिक किताबों को पढऩे के फायदे को स्वीकार किया। उनहोंने कहा कि उन्होंने अस्पताल में भर्ती होते ही गीता पढऩी शुरू कर दी थी। अब उनको ये एहसास ही नहीं होता कि वो हॉस्पिटल में हैं। एक अन्य महिला रोगी पुष्पा ने बताया कि गीता पढऩे से उनको ताकत मिली और मन शांत हुआ है।