जालन्धर। स्वास्थ्य विभाग ने लाइसेंस के नवीनीकरण एवं नए लाइसेंस के लिए नई नीति की घोषणा की है। विभाग ने इससे पहले आठ वर्ष पूर्व 24 अप्रैल 2010 को ड्रग्स पॉलिसी निर्धारित की थी, जिसे 1 मई 2010 को लागू किया गया था। अब पुरानी पॉलिसी में और अधिक पारदॢशता लाने के लिए उसमें कुछ फेरबदल किया गया है। नई नीति आगामी 1 अप्रैल 2019 से लागू हो जाएगी। एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (हैल्थ) सतीश चंद्रा एवं ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ ड्रग्स प्रदीप मट्टू ने नई ड्रग्स नीति निर्धारित की है। इसके तहत अर्बन और रूरल एरिया में खुदरा व होल सेल दवा बिक्री के लाइसेंस लेने के लिए अब लाइसेंस सिर्फ सीएंडएफए के लिए ही दिया जाएगा और कंपनी के डिपो को ड्रग्स एंड मैन्युफैक्चङ्क्षरग कंपनी के नाम से जाना जाएगा। यह लाइसेंस किसी दूसरे के नाम पर ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। लाइसेंस के लिए प्रार्थी को जोनल लाइसेंङ्क्षसग अथॉरिटी से यह जानना भी जरूरी है कि उक्त एरिया में 5 खुदरा दवा बिक्री के लिए लाइसेंस दिए गए हैं, जिस एरिया में होलसेन लाइसेंस लेना है। ऐसी स्थिति में उसे जोनल लाइसेंङ्क्षसग अथॉरिटी से लाइसेंस के लिए एलिजिबिलिटी सर्टीफिकेट लेना आवश्यक होगा ताकि वह 5:1 की रेशों के हिसाब से होलसेल लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेगा। यह भी जरूरी है कि जो भी व्यक्ति पहले आवेदन करेगा, उसे ही लाइसेंस दिया जाएगा। यदि किसी कारणवश दवा कंपनी बंद होती है तो ऐसी सूरत में किसी भी भागीदार को लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। कंपनी के मुखिया के हिस्सेदारी में किसी प्रकार के बदलाव की कोई भी इजाजत नहीं होगी। अगर कंपनी में और भी हिस्सेदार हैं तो उन्हें सबस्टीट्यूट किया जा सकता है। यदि किसी भी शेयर होल्डर की अकस्मात मौत हो जाती है तो कानून के अनुसार उसके रिश्तेदार को शेयर होल्डर बनाया जा सकता है। यहां ये भी स्पष्ट किया गया है कि लाइसेंस किसी दूसरे के नाम पर नहीं बेचा जा सकता है। यदि कंपनी बंद होने की सूरत में भी है तो किसी भी पार्टनर को फिर से लाइसेंस लेने के लिए पुरानी प्रक्रिया से गुजरना होगा और वो भी पहली क पनी के बंद होने से 3 महीने के अंदर नए लाइसेंस के लिए आवेदन देना जरूरी होगा। ड्रग्स कंट्रोलर ऑफिसर के लिए यह भी जरूरी है कि वह कंपीटेंट व्यक्ति का अनुभव प्रमाण पत्र, उसकी तनख्वाह आदि की भी जांच करे कि उसको सेलरी चैक द्वारा दी जा रही है और योग्यता के अनुसार ही दी जाती है या नहीं। ये भी सुनिश्चित किया जाएगा कि अर्बन एरिया में 5,000 की आबादी के पीछे एक ही खुदरा लाइसेंस दिया जाएगा। यदि किसी एरिया की आबादी 5,000 से 10,000 हो जाती है तो उसके लिए 500 मीटर की दूरी पर दूसरा खुदरा दवा का लाइसेंस भी दिया जा सकता है।
प्रधानमंत्री भारतीय जनाषौधि योजना के प्रकरण में ड्रग्स पॉलिसी के नियम लागू नहीं माने जाएंगे।  खुदरा दवा बिक्री के लिए अस्पताल के अंदर या उसके बाहर भी लाइसैंस का प्रावधान रखा गया है। रूरल एरिया जहां की आबादी 2500 हो, वहां पर भी एक खुदरा दवा विक्रेता लाइसेंस का प्रावधान है। किसी भी गांव में जहां पर प्राइमरी हेल्थ सेंटर हो, वहां पर 3 खुदरा दवा बिक्री के लिए लाइसेंस दिए जा सकते हैं। गांव में सी.एच.सी. होने की सूरत में 5 रिटेल लाइसेंस का भी प्रावधान रखा दिया गया है। यहां पर ये भी वर्णनीय है कि अगर जोनल लाइसेंङ्क्षसग अथॉरिटी यह समझता है कि किसी एरिया में खुदरा दवा बिक्री के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं है तो वह लाइसेंस देने में इनकार कर सकता है। लाइसेंङ्क्षसग अथॉरिटी को यह भी सुनिश्चित करना है कि खुदरा दवा विक्रेता नशीली दवाइयों पर पूर्ण प्रतिबंध रखे। लाइसेंङ्क्षसग अथॉरिटी को यह भी सुनिश्चित करना है कि दिया हुआ लाइसैंस किसी दूसरे के नाम पर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। यह सिर्फ मृत्यु होने पर ही कानूनी तौर पर उत्तराधिकारी को दिया जा सकेगा। रिटेल लाइसेंस देने की पुलिस ज्वाइंट कमिश्नर, असिस्टेंट कमिश्नर ड्रग्स एवं जोनल लाइसेंङ्क्षसग अथॉरिटी पर आधारित टीम की देख-रेख में ही फाइनल होगी और वो भी रूरल और अर्बन एरिया के लिए बनाई गई शर्तों को आधार मानकर ही की जाएगी। यदि किसी कारणवश खुदरा दवा बंद होती है तो उसके भागीदार लाइसेंस के हकदार नहीं होंगे। किसी भी फर्म में कोई भी तबदीली की गुंजाइश नहीं है। फर्म के मुखिया के मेंबर ही तबदीली के हकदार हैं, दूसरा कोई भी भागीदार, फर्म में कोई भी तबदीली नहीं कर सकता है।  इसी प्रकार रिटेल लाइसेंस एक जिले से दूसरे जिले में भी नहीं दिया जा सकता। यदि कोई फर्म अपना धंधा बंद करके दूसरा लाइसेंस लेना चाहती है तो उसे फिर से पुरानी प्रक्रिया से गुजरना होगा।   शैड्यूल एच-1 ड्रग्स के रिकार्ड का उल्लंघन क्वालीफाइड पर्सन (फार्मासिस्ट) के हस्ताक्षर बिना, शैड्यूल एच-1 का रिकार्ड होने पर फार्मासिस्ट के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मैटिक एक्ट-1945 के नियम के अनुसार उसकी रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल करने का प्रावधान रखा गया है। यदि किसी फर्म के लाइसेंस की तारीख खत्म हो जाती है तो ऐसे हालात में यदि 6 महीने के बाद फर्म लाइसेंस के लिए आवेदन करती है तो उसे लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। सभी दवा विक्रेताओं के लिए यह अनिवार्य है कि वे फार्मासिस्ट की रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट और फार्मासिस्ट के फोटोग्राफ की कॉपी भी दुकान के अंदर लगाकर रखे। इसके साथ ही फार्मासिस्ट की बॉयोमीट्रिक हाजिरी और रोजाना अटेंडेंस का भी अनिवार्य रिकार्ड रखे। फार्मासिस्ट की सेलरी भी चैक द्वारा अनिवार्य का प्रावधान रखा गया है।  यदि किसी कारण न्यायालय द्वारा किसी फर्म का मालिक या पार्टनर ड्रग्स एवं कॉस्मैटिक एक्ट का उल्लंघन करने का आरोपी पाया जाता है तो उस सूरत में भी फर्म का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। लाइसेंस देने के लिए समय या नवीनीकरण के समय कोई फर्म ड्रग्स एवं कॉस्मैटिक एक्ट की उल्लंघना करती पाई जाती है तो भी उक्त फर्म का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।