रोहतक। बदलते लाइफस्टाइल में तनाव के बीच ड्रग्स की बढ़ती आदत के बीच यदि प्री-गैब्लिन और गाबापेंटिन नाम की दवा का सेवन किया तो जिंदगी से हाथ धोना पड़ सकता है। असल में ये दोनों दवाइयां उपचार के बाद डॉक्टरी परामर्श से ही लेनी चाहिए। ड्रग्स के साथ इसका दुरूपयोग होने से मौत के आंकड़ों में वृद्धि हुई है। इन दवाइयों को हेरोइन और अन्य ऑक्सीडाइजड के साथ इस्तेमाल करना सेहत के लिए बेहद खरनाक है।
चिकित्सकों की मानें तो प्री-गैब्लिन और गाबापेंटिन, मूड डिसऑर्डर या मिर्गी इलाज के लिए इस्तेमाल होती हैं लेकिन हाल ही में न्यूरोपैथिक दर्द, डायबिटीक न्यूरोपैथिक पेन में भी इनका इस्तेमाल होने लगा है, वो भी तब जब रोजाना की दवाएं काम न करें। ये दोनों दवाइयां नार्कोटिक एक्ट के अंतर्गत आती हैं। डॉक्टरी परामर्श के बिना इन दवाओं से जान जाने की संभावना प्रबल होने लगी है। आंकड़ों पर नजर डालें तो इन दवाइयों के प्रिस्क्रिप्शन 2004 में 1 मिलियन थे जो 2015 में बढक़र 10.5 मिलियन हो गए। ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ने एडिक्शन नाम की रिसर्च में बताया है कि इंग्लैंड और वेल्स में होने वाली मौतों की सख्या 2009 की तुलना में एक साल से भी कम समय में बहुत बढ़ गई है। 2015 में 137 मौतें हुईं, जिसमें से 79 प्रतिशत लोगों ने इन दवाईयों का हेरोइन के साथ गलत इस्तेमाल किया था।