नई दिल्ली। डेंगू, जीका, निपाह के बाद अब देश में वेस्ट नाइल वायरस एक्टिव हो गया है। यह वायरस भी मच्छरों से एक-दूसरे में ट्रांसफर होता है। इस वायरस से अब तक केरल में एक मौत की पुष्टि हुई है। डॉक्टरों के अनुसार वेस्ट नाइल वायरस एक ऐसी बीमारी है जो पक्षियों से लेकर इंसान तक को हो सकती है। इस का वायरस क्यूलेक्स नाम के मच्छर के काटने से फैलता है।
इस नए वायरस के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय समीक्षा कर रहा है। खुद स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा इस पर नजर रखे हुए हैं। बीते हफ्ते दिल्ली से नेश्नल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के एक्सपर्ट की टीम गई थी, ताकि बीमारी को कंट्रोल करने के लिए राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों की मदद की जा सके। इस बारे में एशियन हॉस्पिटल के डॉक्टर पी. भौमिक का कहना है कि वेस्ट नील वायरस मच्छर से होने वाली बीमारी है। इंसानों में एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी का कारण बन सकता है। इस वायरस के शिकार 75 फीसदी से ज्यादा को लक्षण का पता ही नहीं चलता है। इस वायरस का शुरुआती सोर्स पक्षी वेस्ट नील है। इससे बचने के लिए वैक्सीनेशन नहीं है। आईएमए के पूर्व प्रेसिडेंट डॉक्टर केके अग्रवाल का कहना है कि पहला मामला सामने आया है। पब्लिक हेल्थ के नजरिये से जरूरी है कि इस पर ध्यान दिया जाए, ताकि कोई गंभीर स्थिति नहीं बने। हमें सबसे पहले इसके सोर्स मच्छरों को ढूंढना होगा और इसके खिलाफ बड़े स्तर पर कैंपेन चलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मच्छरों को मारने के लिए अगर सर्जिकल स्ट्राइक नहीं की गई तो यह बीमारी तेजी से फैलेगी और पूरे देश में इसके मरीज हो सकते हैं, क्योंकि क्यूलेक्स मच्छर पूरे देश में है। डब्ल्यूएचओ के प्रोटोकॉल के अनुसार हाई अलर्ट पर हैं, लेकिन चिंता वाली बात नहीं है। सरकार इस पर नजर रखे हुए है ताकि यह वायरस इलाके से बाहर नहीं फैल सके।  डॉक्टर केके अग्रवाल के अनुसार इस वायरस के लक्षण को समझना जरूरी है। दरअसल, अधिकतर लोगों में इसके लक्षण नहीं दिखते हैं। इसमें सिरदर्द, तेज बुखार, थकान, शरीर में दर्द, मतली, उल्टी, कभी-कभी त्वचा पर चकत्ते बन जाते हैं। जब यह खतरनाक होता है तब सिरदर्द, तेज फीवर, गर्दन में अकडऩ, मानसिक संतुलन खराब हो जाना, बार-बार दौरे पडऩा, मांसपेशियों में कमजोरी और आदमी कोमा तक में जा सकता है।