रोहतक। अब महिलाओं को बच्चा पैदा करने में अधिक दर्द सहन नहीं करना पड़ेगा। प्रसव प्रक्रिया को आसान बनाने में नई तकनीक काफी सहायक सिद्ध होगी। नई तकनीक से प्रसव पीड़ा में समय कम लगेगा। इस नई तकनीक पर पीजीआईएमएस रोहतक में स्त्री एवं प्रसूति विभाग की प्रोफेसर डॉ. वाणी मल्होत्रा करीब सौ महिलाओं पर रिसर्च कर चुकी हैं। उन्हें इसमें सफलता मिलने पर पीजीआईएमएस अब इस तकनीक को अपना रहा हैै। गौरतलब है कि ‘कंपेरजिन ऑफ द मेटरनल एंड फिटल आउटकम इन इंडक्शन ऑफ लेबर बाई सबलिंगवल एंड वेजिनल मिसोप्रोस्टोल’ शोध के लिए डॉ. वाणी को हाल ही में लखनऊ में हुए समारोह में द्वितीय पुरस्कार भी मिला है। डॉ. वाणी मल्होत्रा के अनुसार गर्भवती महिला की प्रसव पीड़ा के समय को कम करने के साथ ही नई तकनीक सुरक्षित भी है। नई तकनीक में गर्भवती महिलाओं को प्रसव से पहले मिसोप्रोस्टोल दवा जीभ के नीचे रखवाई गई और उनके सामान्य प्रसव के दौरान होने वाले प्रसव पीड़ा के समय में एक-दो घंटे की कमी आई, जबकि पुरानी तकनीक में यह दवा गुप्तांग में रखी जाती थी। इसमें जच्चा-बच्चा को संक्रमण से बचाने के लिए खासा ध्यान रखना होता था। वहीं जीभ के नीचे दवा रखने का लाभ यह मिला कि प्रसव के दौरान दर्द में तेजी आई और प्रसव जल्दी होने में कामयाबी मिली। इसका लाभ जच्चा-बच्चा और प्रसव कराने वाली टीम को भी मिला। डॉ. वाणी की इस नई तकनीक से अब संस्थान में सामान्य प्रसव कराए जा रहे हैं।