नई दिल्ली। नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी ने तीन जरूरी दवाओं की कीमतों में 50 फीसदी तक बढ़ाने की अनुमति दे दी है। ये दवाएं Carbamazepine, Ranitidine और Ibuprofen हैं। एनपीपीए ने इन दवाओं को बनाने के लिए 9 फॉर्मुलेशंस के ऊपरी कीमत में भी बढ़ोतरी करने की अनुमति दे दी है। कीमतों में इजाफे की अनुमति देते हुए एनपीपीए ने कहा कि ऐसी दवाओं के लिए एक बार में 50 फीसदी तक बढ़ोतरी करना एक ‘असाधारण कदम’ है।
ये दवाएं कम कीमतों में ही बिकती हैं, लेकिन लंबे समय से इन कीमतों को नियंत्रित किया जा रहा है। कई बीमारियों के इलाज के लिए इन दवाओं को फर्स्ट लाइन ऑफ ट्रीटमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
किस बीमारी में काम आती हैं ये दवाएं?
कार्बामेजपिन दवा का इस्तेमाल मिर्गी के मरीजों के लिए किया जाता है। जबकि, पेट में अल्सर के इलाज और इसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए रेनिटिडिन दवा का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, आइबूप्रोफेन दर्द से राहत के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आइबूप्रोफेन का इस्तेमाल सिरदर्द, दांत दर्द, अर्थराइटिस आदि में लिया जाता है।
दवाओं की कीमतों पर होती है एनपीपीए की नजर
भारत में दवाओं और उनके फॉर्मुलेशंस की कीमतें तय व रिवाइज करने का अधिकार नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी के पास ही है। यह अथॉरिटी सुनिश्चित करती है कि देशभर में उचित कीमत पर दवाएं उपलब्ध हों। एनपीपीए की जिम्मेदारी कई अन्य श्रेणी के दवाओं की कीमतें मॉनिटर करना है ताकि उनमें बेतहाशा इजाफ न हो सके।
कोविड-19 से संबंधित दवाओं की कीमतें कम करने का आदेश
फार्मास्युटिकल्स विभाग के अंतर्गत आने वाले एनपीपीए ने फार्मा कंपनियों और मेडिकल डिवाइस कंपनियों से जीएसटी कम किए जाने के बाद कीमतों में कटौती करने का निर्देश भी दिया था। इससे जीएसटी दरों में कटौती का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने में मदद मिली। इन दवाओं की लिस्ट में रेमडेसिवीर, टोसिलिजुमैब जैसे कोविड-19 दवाएं, मेडिकल ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर्स और कोविड-19 से जुड़ी और दवाएं हैं।
वित्त मंत्रालय के वित्त विभाग ने पिछले महीने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि कोविड-19 से संबंधित 18 सप्लाई पर जीएसटी दरों को घटा दिया गया है। इसमें हैंड सैनिटाइजर, पल्स ऑक्सीमीटर, बाइपैप मशीन, टेस्टिंग किट्स, एम्बुलेंस और तापमान चेक करने वाले इक्विपमेंट्स शामिल हैं। सितंबर 2021 तक इन वस्तुओं पर जीएसटी दरें कम रहेंगी।