नई दिल्ली। सफदरजंग अस्पताल में आए 30-35 दवा कंपनी के मेडिकल रिपे्रजेंटेटिव्स (दवा प्रतिनिधि ) को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किए जाने का मामला सामने आया है।
बताया गया है कि दवा प्रतिनिधि राजधानी के सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टरों को अपने उत्पादों के बारे में जानकारी देने गए थे। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया। अचानक की गई गिरफ्तारी से दवा प्रतिनिधि भयभीत और अपमानित महसूस कर रहे हैं।
कुछ दवा प्रतिनिधि हिरासत से बचने के लिए अस्पताल से फरार भी हो गए। कई महिला दवा प्रतिनिधि रोती हुई भी पाई गईं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि कुछ एमआर को पुलिस कर्मियों ने चालान के साथ या बिना पैसे देकर रिहा भी कर दिया। यह घटना इस तरह की कार्रवाई की वैधता और नैतिकता पर सवाल खड़ा करती है।
गौरतलब है कि यह घटना दवा क्षेत्र के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए सामाजिक और नीतिगत रूप से दूरगामी परिणामों वाली है। हिरासत या इसी तरह की चुनौतियों के खतरे के कारण महिलाएं विशेष रूप से इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने से हिचकिचा सकती हैं। यह घटना उन दवा प्रतिनिधि (बी. फार्मा और एम. फार्मा) के जोश को भी कम करती है, जो पहले से ही नौकरी की अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।
दवा उद्योग को लाखों मेहनती दवा प्रतिनिधियों द्वारा बनाया गया है। इनकी लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका है और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कोविड -19 महामारी के दौरान, कई युवा दवा कंपनी के दवा प्रतिनिधियों ने जरूरी दवाएं पहुंचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली थी। उनमें से कई ने स्वास्थ्य सेवा संबंधी अनिश्चितता से जूझ रहे देश की सेवा करते हुए अपनी जान गंवा दी। सरकार को इस घटना का तत्काल निराकरण करना चाहिए।