देहरादून के मशहूर अस्पताल से लापरवाही का बड़ा मामला सामने आ रहा है। यहां खून चढ़ाने के बाद युवक की एचआईवी से मौत हो गई। उत्तराखंड के स्टेट उपभोक्ता डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन ने मोहाली की एक प्राइवेट अस्पताल की उस याचिका को खारिज कर दिया है। इसमें देहरादून के जिला उपभोक्ता अदालत खून चढ़ाए जाने के बाद मरने वाले मरीज के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिया गया था।

एक 30 वर्षीय युवक के गुर्दा के प्रत्यारोपण के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए उसे मोहाली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान मरीज को खून चढ़ाने की आवश्यकता थी। खून चढ़ाने के बाद साल 2017 में युवक की मृत्यु हो गई। मौत का कारण एचआईवी संक्रमण बताया गया था। इस मामले में अस्पताल प्रशासन के खिलाफ पत्नी ने कानूनी लड़ाई लड़ी। पत्नी ने तमाम सबूतों के साथ अस्पताल प्रशासन की ओर से चढ़ाए गए ब्लड को उनके पति की मौत का जिम्मेदार बताया था। कोर्ट ने भी अपने आदेश के जरिए उनके पक्ष को सही माना है।

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ये पूरा मामला साल 2014 का है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले व्यक्ति ने मैक्स अस्पताल में अपने स्वास्थ्य की जांच कराई। जांच में सामने आया कि व्यक्ति की दोनों किडनी खराब हो गई हैं। मरीज को बचाने के लिए उसकी पत्नी ने अपनी दाहिनी किडनी भी पति को दी। व्यक्ति का किडनी ट्रांसप्लांट कराया गया। अप्रैल साल 2014 से जुलाई साल 2017 तक मैक्स हॉस्पिटल में मरीज का इलाज चला। पैथलैब में ब्लड टेस्ट हुआ था। इसमें मरीज के खून में किसी प्रकार का इंफेक्शन नहीं था।

साल 2017 में व्यक्ति को फिर से स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हुई। फिर से उसे मैक्स अस्पताल में भर्ती करवाया गया। मरीज को अस्पताल में बताया गया कि वो एनीमिया से ग्रसित है। 17 जुलाई 2017 को ब्लड बैंक से दो यूनिट ब्लड लेकर उसे चढ़ाया गया। इसके बाद भी स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ। तबियत में कोई सुधार नहीं होती देख 3 अगस्त 2017 को परिजन उसे लेकर सिनर्जी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, देहरादून पहुंचे। यहां पर दो दिनों के बाद मरीज की मौत हो गई।

मौत के कारण की पुष्टि एचआईवी संक्रमण हुई। पति की मौत ने पत्नी को पूरी रुप से झकझोर दिया। डॉक्टरों की ओर से किए गई जांच में पहले न तो पति और न वह एचआईवी संक्रमित थे। इसके बाद महिला ने मोहाली में सरकारी अधिकारियों के सामने इस मामले को उठाया। मामले की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। लंबी सुनवाई के बाद 3 जनवरी 2022 को बोर्ड के निष्कर्षों का संज्ञान लेते हुए अदालत ने आदेश जारी किया।

उत्तराखंड कंज्यूमर कोर्ट ने अपने आदेश में कहा गया कि मैक्स अस्पताल आदेश के 30 दिनों के भीतर पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ेगा।