रायपुर : राज्य के सबसे बड़े शासकीय अम्बेडकर अस्पताल में पिछलें दिनों मरीज की जागरूकता पर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है, जिससे अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सक सकते में हैं। दरअसल, अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल में नेत्ररोग विभाग के लिए स्थनीय स्तर पर मेक्सीफ्लोक्सेसिन आई ड्राप खरीदी थीं। जिसकी निर्माता कंपनी चेन्नई की हैं। आई ड्राप के रैपर पर उसकी मात्रा तो 10 एम. एल. हैं, लेकिन असल में ड्राप के अंदर उसकी मात्रा 5  एम. एल. हैं।
दवा खरीदी में इस नए कारनामें के उजागर होनें के बाद अस्पताल में हडकंप-सा मच गया हैं। सूत्रों की मानें तो अस्पताल प्रबंधन ने यह आई ड्राप जिसका वास्तविक बाजार मूल्य 100 रूपए हैं, उसकी खरीद 50 प्रतिशत डिस्काउंट पर 50 रू. में की हैं। मामले के उजागर होनें के बाद आई ड्राप के अस्पताल में बांटनें पर रोक लगा दी गई। साथ ही आगे अस्पताल की जरूरत के हिसाब से और होनें वाली खरीदी पर भी रोक लगा दी गई हैं और सप्लायर एजेंसी संचालक को तलब किया गया हैं। यह आई ड्रॉप मरीजों को अस्पताल में अगस्त माह की शुरूआत से दिया जा रहा था। जब एक मरीज ने नेत्र विभाग के डॉक्टर को यह बताया कि आई ड्रॉप तीन दिन में ही खत्म हो गया। तो डॉक्टरों ने सत्य को जांचने के लिए बगैर समय गवाए बचें हुए आई ड्राप की जांच की। इंजेक्शन के जरिए आई ड्राप से दवा निकाली गई तो वह 5 एम.एल ही निकली, जबकि रैपर पर उसकी मात्रा 10 एम. एल. लिखा हुआ हैं। अस्पताल अधीक्षक ने मामले को गंभीर माना है। उन्होंने कहा कि विभाग ने सही समय पर गड़बड़ी पकड़ी हैं, आगें से खरीदी में और सतर्कता बरती जाएगीं।