नई दिल्ली: जिस वक्त भारत में आजादी के 70 वें उत्सव को धूमधाम से मनाने की तैयारी चल रही थी उस वक्त स्वास्थ्य सेवा में अपना योगदान देने वाली ईएसआईसी हॉस्पिटल की नर्सिंग सिस्टर रमनदीप कौर से नौकरी का अधिकार छीन लिया गया यानी उन्हें टर्मिनेट(बर्खास्त) कर दिया। बीती 10 अगस्त को ईएसआईसी मॉडल अस्पताल लुधियाना के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बलराज भंडार की तरफ से बरनाल डिस्पेंसरी में कार्यरत नर्स रमनदीप को टर्मिनेशन लेटर मिला। इसके साथ ही देशभर के तमाम नर्सिंग संगठन और ट्रेड यूनियनों का गुस्सा फूट पड़ा।

स्वतंत्रता दिवस से ठीक 5 दिन पहले हुई इस कार्रवाई को सभी संगठन प्रतिनिधियों ने ट्रेड अधिकारों पर हमला बताते हुए उनकी आवाज कुचलने की नापाक कोशिश करार दिया। हालांकि ईएसआईसी के स्थानीय प्रबंधन से लेकर दिल्ली हैडक्वार्टर तक सभी अधिकारी कार्रवाई को कानूनी तौर पर बिल्कुल सही मान रहे हैं। लुधियाना के चिकित्सा अधिकारी डॉ. भंडार ने कहा कि दो साल की लंबी जांच के बाद कमेटी ने रमदीप कौर पर लगे 8 इलजामों (चार्ज) में से 6 को पूरी तरह सही पाया। लिहाजा नियमों के मुताबिक उन्हें बर्खास्त किया गया। डॉ. भंडार ने कहा कि रमदीप कौर के व्यवहार और आचरण के खिलाफ भी पूर्व चिकित्सा अधीक्षक और अस्पताल स्टाफ की ढेर सारी शिकायतें प्रबंधन के रिकॉर्ड में जमा हैं।

उधर, रमदीप कौर ने फैसले को पूरी तरह गैर कानूनी और चिकित्सा अधीक्षक की तानाशाही बताया। उनके मुताबिक, चूंकि वह ईएसआईसी एम्पलाईज (मेडीकल) यूनियन लुधियाना की अध्यक्ष हैं, प्रबंधन की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाती रहीं हैं और उनकी वजह से स्थानीय अस्पताल प्रशासन के कई गलत निर्णयों को हैडक्वार्टर ने रद्द किया है, इसलिए गुस्से और निजी रंजिश के चलते उन पर यह अनुचित कार्रवाई हुई। मेडीकेयर न्यूज से बातचीत में रमनदीप कौर ने स्पष्ट कहा कि फैसले को हैडक्र्वाटर ने वापस लेकर चिकित्सा अधीक्षक पर कार्रवाई नहीं की तो वह मामले को कोर्ट में चुनौती देंगी, क्योंकि उन पर लगे इलजामों में कोई भी इतना संगीन नहीं कि नौकरी ही छीन ली जाए।

दिल्ली स्थित ईएसआईसी के महानिदेशक राजकुमार ने तो मामले की जानकारी होने से ही इनकार कर दिया जबकि चिकित्सा आयुक्त डॉ. कटारिया बोले कि वह पूरे मामले पर निगरानी रखे हुए हैं, स्थानीय प्रबंधन का फैसला सही है। कोई अपील आएगी तो विचार करेंगे। ऑल इंडिया ईएसआईसी नर्सेज फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव जोधराज बैरवा ने फैसले पर घोर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा देश के तमाम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ईसआईसी यूनियनों ने पत्र जारी कर विरोध जताया है। टर्मिनेशन निरस्त नहीं हुआ तो सभी राज्यों के प्रतिनिधियों से विचार-विमर्श के बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस(एआईटीयूसी) की महासचिव एवं ईएसआई कॉरपोरेशन बोर्ड की सदस्य अमरजीत कौर ने कहा कि नर्स रमनदीप की बर्खास्तगी किसी सूरत में सहन नहीं होगी। फैसला वापस नहीं हुआ तो राष्ट्रीय स्तर पर विरोध-प्रदर्शन करेंगे।

ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्स फेडरेशन की महासचिव जी.के खुराना ने भी नर्स की बर्खास्तगी को निंदनीय घटना बताया। उन्होंने कहा कि अधिकारों के लिए कर्मचारियों को हड़ताल का हक संविधान में दिया गया है। नर्स की लापरवाही से जिदंगी का नुकसान या भारी भ्रष्टाचार में उसकी संलिप्ता साबित होने पर ही इस तरह की कठोर कार्रवाई को जायज ठहराया जा सकता है। नर्सों के अधिकारों पर सरकार और नौकरशाहों की मनमानी बर्दाश्त नहीं होगी।