मुंबई। यौन आकर्षण और मर्दानगी बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाली दो आयुर्वेदिक दवाइयों में वायग्रा और एनीस्थेटिक दवा का इस्तेमाल पाया गया है। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के औरंगाबाद डिविजन ने जब इन दो दवाइयों की गुणवत्ता को परखा तो इस बात का खुलासा हुआ। पावर अप कैप्सूल और टाइगर किंग क्रीम नाम की इन दो आयुर्वेदिक दवाओं में वायग्रा होने का पता चलने के बाद एफडीए ने पूरे महाराष्ट्र में सक्र्युलर जारी किया और स्वास्थ्य अधिकारियों से इन दोनों दवाइयों का सारा स्टॉक कैमिस्ट शॉप से जब्त करने के आदेश दिए है। इन दोनों आयुर्वेदिक दवाइयों में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि इसमें वायग्रा और एनीस्थेटिक ड्रग लिग्नोकाइन हाइड्रोक्लोराइड मिला हुआ है। लिहाजा अनजाने में इन दवाओं का सेवन करने वाले लोगों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। खासतौर पर वायग्रा की बात करें तो इसे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या होने पर दिया जाता है और इसे सिर्फ किसी स्पेशलिस्ट द्वारा प्रिस्क्राइब करने पर ही बेचा जा सकता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि अगर वह व्यक्ति कोई दूसरी दवाइयां खा रहा हो तो वायग्रा उसके साथ रिएक्ट कर उस व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। जुलाई 2018 में एफडीए अधिकारियों ने औरंगाबाद के सृष्टि यूनानी मेडिसिन एजेंसी में छापा मारकर इन दोनों आयुर्वेदिक दवाइयों का स्टॉक जब्त किया था, जो उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से आया था। क्वॉलिटी टेस्ट में पाया गया कि पावर अप हर एक कैप्सूल में 49.45 मिलीग्राम वायग्रा था, जबकि टाइगर किंग क्रीम में अथीस्थेटिक ड्रग लिग्नोकाइन हाइड्रोक्लोराइड की अच्छी खासी मात्रा थी, जबकि इन दवाइयों की पैकिंग पर इनमें सिर्फ हर्बल कॉम्पोनेन्ट्स होने की बात लिखी गई थी। एफडीए अधिकारियों के अनुसार आयुर्वेदिक दवाइयों के निर्माण के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है लेकिन इसकी सप्लाई और डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है और इसी वजह से इस तरह की दवाइयों की मॉनिटरिंग मुश्किल हो जाती है। इस तरह की नकली और अवैध दवाइयां बनाकर लोगों की जिंदगी से खेल किया जा रहा है। मुंबई के हॉस्पिटल के सेक्शुअल मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. राजन भोंसले कहते हैं कि पिछले कई सालों से यह प्रक्रिया बिना किसी रोक- टोक के यूं ही चल रही है। आयुर्वेद चिकित्सक आयुर्वेदिक दवाइयां देने के नाम पर लोगों से ढेर सारा पैसा वसूलते हैं, जबकी उनकी दवाइयों में गैरकानूनी रूप से वायग्रा पाया जाता है। इसे जब ऐलोपेथी दवा के तौर पर बेचा जाता है तो उसकी कीमत महज 30 से 40 रुपये होती है, लेकिन कई मरीजों का कहना है कि उन्होंने आयुर्वेद की सिर्फ 4 गोलियों के लिए 4 हजार रुपये तक दिए हैं।