देवघर। कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में एलोपैथ की दवाओं से ज्यादा असरदार आयुर्वेद की दवाएं हो रही हैं। केंद्रीय आयुष मंत्रालय की आर्थिक मदद और तमिलनाडु सरकार के सहयोग से द आर्या वैद्य फार्मेसी रिसर्च फाउंडेशन कोयंबटूर तथा स्टेनली मेडिकल कॉलेज चेन्नई के संयुक्त क्लीनिकल शोध में यह प्रमाणित हुआ है। शोध के दौरान यह पाया गया कि जिन्हें आयुर्वेद की दवाएं दी गईं, उनके शरीर में लिंफोसाइट तेजी से बढ़ा और एलोपैथ वाले मरीजों की स्थिति स्थिर रही। तकरीबन 15 दिनों के शोध में पाया गया कि 29 फीसद लिंफोसाइट वाले मरीजों में आयुर्वेद दवाओं के इस्तेमाल के बाद लिंफोसाइट का स्तर 33 फीसद हो गया। इस कारण वे जल्द स्वस्थ हो गए। शोध टीम के निदेशक डा. सोमित कुमार ने बताया कि शोध के दौरान मरीजों के दो समूह बनाकर यह शोध किया गया। एक समूह को एलोपैथ और दूसरे को आयुर्वेद की दवाएं दी गई थीं। जिन्हेंं आयुर्वेदिक दवाएं दी गईं, उनके शरीर में लिंफोसाइट तेजी से बढ़ा। इस कारण वे अपेक्षाकृत जल्द स्वस्थ हो गए। डा. सोमित ने यह रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को सौंप दी है। 29 जुलाई से शोध प्रारंभ किया गया था। ऐड-आन समूह के 27 सदस्यों ने यह अध्ययन किया है। डा. सोमित के अनुसार गंभीर रूप से पीडि़त 54 मरीजों के दो समूहों पर यह अध्ययन किया गया। इनमें 30 को आयुर्वेद समूह में रखा गया, जबकि 24 को एलोपैथ समूह में। एलोपैथ समूह को अंग्रेजी स्टेरॉयड व अन्य दवाएं, जबकि आयुर्वेद समूह को आयुर्वेद की दवाएं दी गईं। इस दौरान आयुर्वेद श्रेणी वाले मरीजों से प्राणायाम भी कराया गया। आयुर्वेद श्रेणी वाले गंभीर मरीजों को एलोपैथ की भी एरिथ्रोमाइसिन व एबरमायसिन दवा साथ-साथ दी जाती रही, क्योंकि मेडिकल गाइडलाइन के अनुसार गंभीर मरीजों का सिर्फ आयुर्वेद की दवा के माध्यम से इलाज करने की अनुमति नहीं है। इन दोनों एंटीबायोटिक दवाओं को छोड़ आयुर्वेद श्रेणी के मरीजों को सभी शेष दवाएं आयुर्वेद की दी गईं। संक्रमितों में अधिकतर डायबिटीज और उच्च रक्तचाप से भी पीडि़त थे। दोनों समूहों के अति गंभीर 30 फीसद मरीजों को शोध के दौरान आक्सीजन पर रखा गया था, वहीं अंगे्रजी समूह के एक मरीज का आइसीयू में इलाज चल रहा था। ‘शोध अध्ययन भारत की शास्त्रीय आयुर्वेद पद्धति पर किया गया है। इसके परिणाम सकारात्मक आए हैं। भारत जैसे देश में कोविड-19 से जंग में आयुर्वेद काफी कारगर और किफायती साबित हो रहा है। डा. ने बताया कि लिंफोसाइट सफेद रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार है, जो बोन मैरो में बनते हैं। ये कोशिकाएं शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है। साथ ही यह शरीर को रोग के वायरस और कैंसर कोशिकाओं से बचाती हैं। मरीजों पर इंद्रकांतम कसायम, पंच तिखत्म कसायम, गिलोय, भृंगादि कसायम, द्रक्षादि कसायम, श्वांसानंदम गुलिका, गुड़ुची, अष्टांग चूर्ण, गोरोचनादि गुलिका जैसी औषधियों का प्रयोग किया गया। डा. सोमित ने बताया कि ये दवाएं 14 तरह के औषधीय पौधों से बनाई जाती है। इनमें छह औषधियों का प्रयोग ज्यादा किया गया है।