फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)। बिदकी सीएचसी पर ड्रग माफिया का साया मंडराने लगा है। सीएचसी में आने वाले मरीजों को चिकित्सक बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। ये वो दवाएं होती हैं जिनमें कमीशन ज्यादा मिलता है। यही नहीं, इंजेक्शन के प्रिंट रेट पर अलग से एमआरपी स्लिप लगाकर मरीज से सीधे ठगी की जा रही है। जेब में सीधे डाका ही डाला जाने लगा।
गौरतलब है कि सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में रोजाना तीन सौ के करीब ओपीडी होती है। यहां मरीजों को ज्यादातर बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। उन्हें जो दवाएं लिखी जाती हैं, उसमें अधिकांश दवाएं जेनरिक होती हंै। जेनरिक दवाओं का प्रिंट रेट खरीद मूल्य से कई गुना कम होता है। इन दवाओं में भारी कमीशन का खेल चलता है। चिकित्सक एथिकल दवाएं जो अधिक लाभकारी और सस्ती भी हैं, उनको लिखने से परहेज करते हैं। भारी कमीशन की दवाओं के खेल का विरोध होता है तो चिकित्सक जेनरिक दवाओं लिखना न बंद कर एथिकल दवाएं भी लिखना बंद कर देते हैं। ऐसे ही एक केस सामने आया। बसंतीखेड़ा गांव के महावीर के हाथ की उंगली आरी से कट गई। वो सीएचसी आए तो यहां उसे एक इंजेक्शन बाहर से लाने को कहा गया। इस इंजेक्शन के प्रिंट रेट के ऊपर 290 रुपये मूल्य की अलग से एक स्लिप लगी मिली। जबकि इंजेक्शन लगाए जाने के बाद सीसी पर ऊपर से अलग मूल्य की स्लिप चिपकी मिली। ललौली रोड निवासी अशोक कुमार के अनुसार सीएचसी में बहुत सी दवाएं नहीं हैं, जो मरीजों को लिखी जानी जरूरी हैं।
इस संबंध में सीएचसी बिदकी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनील चौरसिया ने दावा किया कि सीएचसी में दवाएं मौजूद हैं। बाहर की दवाएं लिखने पर पहले से रोक है। किसी को बहुत जरूरी है या फिर कोई बाहर की दवा लेना चाह रहा है तो उसे लिख दिया गया होगा। इंजेक्शन के ऊपर प्रिंट रेट पर अलग से एमआरपी की स्लिप संबंधी कोई शिकायत नहीं आई है। अब मामला संज्ञान में लाया गया है तो इसकी जांच कराएंगे।