मेरठ (उप्र)। मेडिकल कालेज में एंटीबायोटिक इंजेक्शन के रिएक्शन से 10 से ज्यादा मरीजों के बेहोश हो जाने का मामला सामने आया है। मेडिकल प्रशासन ने इंजेक्शन पर तत्काल रोक लगा दी और इंजेक्शन का सैंपल जांच के लिए भेजा है। उधर, दवाओं की खरीद और गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में आ गई है। जानकारी अनुसार, लाला लाजपतराय मेडिकल कालेज में ड्रग स्टोर ने पोस्ट आपरेटिव मरीजों के इलाज के लिए एंटीबायोटिक इंजेक्शन खरीदे थे। गत दिनों इसका प्रयोग हड्डी रोग विभाग एवं गायनिक रोग विभाग के मरीजों पर किया गया। हड्डी रोग वार्ड में एक बुजुर्ग मरीज में भ्रम, लोगों को न पहचानने और तुतलाने के लक्षण मिले। उक्त मरीज समेत इसी वार्ड में भर्ती कई बच्चे भी बेहोश हो गए। इसी इंजेक्शन के लगाने से गायनिक विभाग में कई प्रसूताओं की तबीयत बिगड़ गई। विषाक्त लक्षण उभर आए। विभागाध्यक्षों ने माना है कि दस से ज्यादा मरीजों में इंजेक्शन का रिएक्शन हुआ। हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डा. ज्ञानेश्वर टांक ने प्रमुख चिकित्साधीक्षक डा. धीरज राज को पत्र लिखकर इंजेक्शन के जांच की मांग की। उधर, फूड एंड ड्रग विभाग को इंजेक्शन का सैंपल भेज दिया किंतु अब तक जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। ड्रग इंस्पेक्टर पवन शाक्य ने बताया कि कई बार दवा के साल्ट के अलावा उसके प्रीजरवेटिव में कमी होने से संक्रमण पनप जाता है। ऐसी दवाएं रिएक्शन कर सकती हैं। पिछले पांच साल में कई सैंपलिंग की रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड से सटे मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर से लेकर मुरादाबाद तक कई जिलों में नकली एंटीबायोटिक का रैकेट पकड़ा जा चुका है। इस संबंध में मेडिकल अस्पताल के सीएमएस डा. धीरज राज का कहना है कि हाल में दो विभागों ने दस से ज्यादा मरीजों में एंटीबायोटिक इंजेक्शन रिएक्शन करने को लेकर पत्र लिखा था। इस पर दवा का प्रयोग बंद कर सैंपल जांच के लिए ड्रग विभाग को दिया था। मरीज बेहोश हो गए थे। रिपोर्ट का इंतजार है।