नई दिल्ली। एंटीबायोटिक दवा के बिजनेस में बड़ा उछाल दर्ज किया गया है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 से 2023 के बीच इन दवाओं के कारोबार में 11 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। बीते साल अप्रैल से नवंबर माह के बीच मरीजों ने 10 हजार करोड़ से अधिक की दवाओं का सेवन किया है।
एंटीबायोटिक की बिक्री में यह उछाल उसी अवधि में आया है, जिसमें बताया गया कि 55 फीसदी से ज्यादा मरीजों को डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं लेने की सलाह दे रहे हैं। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) के अनुसार एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री व सेवन को लेकर सख्त निर्देश लागू किए गए हैं। डब्ल्यूएचओ ने 257 एंटीबायोटिक दवाओं को तीन श्रेणी में बांटा है। एक्सेस श्रेणी में 87, वॉच श्रेणी में 141व रिजर्व श्रेणी में 29 तरह की दवाएं हैं।
बताया गया है कि खपत में 16 फीसदी की वृद्धि रिजर्व श्रेणी की दवाओं में हुई है। इसकी कुछ ही दवाएं सप्लाई में हैं। 12 फीसदी की वृद्धि एक्सेस श्रेणी में और 10 फीसदी वृद्धि वॉच ग्रुप की एंटीबायोटिक दवाओं की खपत में हुई है।
नुकसान भी देती हैं एंटीबायोटिक
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाओं से एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) होता है। इसे दुनिया के शीर्ष 10 सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक माना जाता है। बैक्टीरियल एएमआर का 2019 में 12.7 लाख वैश्विक मौतों से सीधा संबंध था व 49.5 लाख मौतें पूरी तरह दवा प्रतिरोधी संक्रमण से जुड़ी थीं।
एएमआर के कारण 2.97 लाख लोगों की मौत
स्वास्थ्य महानिदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार देश में 72 प्रतिशत दवाएं एंटीबायोटिक ही इस्तेमाल हो रही हैं। 2019 में हुई 2.97 लाख लोगों की मौत के लिए एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) को कारण माना गया है।