चंडीगढ़। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते एक महिला की सडक़ पर ही डिलीवरी हो गई। घरवालों ने एंबुलेंस के लिए फोन किया, लेकिन 45 मिनट तक मौके पर एबुलेंस नहीं पहुंची। महिला का पेन बढ़ता गया और सडक़ पर ही डिलिवरी हो गई। इसके 20-25 मिनट बाद जो एंबुलेंस मौके पर पहुंची, उसमें इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) ही नहीं थी। यह तो शुक्र है कि महिला और उसकी बच्ची ठीक हैं। जानकारी अनुसार नाडा गांव की 36 साल की महिला चंद्रवती को डिलीवरी पेन शुरू हुआ। देर रात घरवालों ने पंचकूला सिविल हॉस्पिटल के कंट्रोल रूम में एंबुलेंस मंगवाने के लिए फोन किया। जवाब मिला कि यहां एंबुलेंस नहीं है। गांव कोट के प्राइमरी हेल्थ सेंटर से एंबुलेंस आप तक पहुंच जाएगी। इसके बाद चंद्रवती को लेकर घर वाले सडक़ पर पहुंच गए कि 5-10 मिनट में एंबुलेंस आ जाएगी। लेकिन 45 मिनट तक कोई मदद नहीं पहुंची। इंतजार में महिला की हालत खराब होती गई और उसने सडक़ पर ही बच्ची को जन्म दे दिया। इसके करीब 20-25 मिनट बाद एंबुलेंस मौके पर पहुंची। नाडा साहिब से पंचकूला सिविल हॉस्पिटल 5 किलोमीटर दूर है। लेकिन कंट्रोल रूम से कहा गया कि एंबुलेंस गांव कोट के प्राइमरी हेल्थ सेंटर से आ रही है, जो नाडा साहिब से 13 किलोमीटर दूर है। चंद्रावती के पति छत्रपाल ने बताया कि फोन करने के पौने घंटे बाद मौके पर एंबुलेंस पहुंची थी। पहली एंबुलेंस में ड्राइवर को छोडक़र न तो कोई नर्स थी और न दूसरा स्टाफ। जब एंबुलेंस पहुंची तो डिलिवरी हो चुकी थी। इसके बाद दूसरी एंबुलेंस बुलाई, जिसमें ईएमटी था, उसी ने बच्ची की नाड़ी काटी, जिसके बाद जच्चा-बच्चा अस्पताल में एडमिट हुए।
हेल्थ डिपार्टमेंट की लापरवाही के कारण महिला और नवजात बच्चे की जान जोखिम में आ गई थी। अब अस्पताल वाले बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र नहीं बना रहे। उन्हें यह बोलकर वापस भेज दिया कि डिलीवरी घर पर हुई है।